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राजधानी को लूटपाट की नगरी न बनने दें मोदी और शाह करें हस्तक्षेप – माइनोरिटीज़ फ्रंट

नई दिल्ली। कोरोना महामारी काल में देश की राजधानी दिल्ली हत्याओं और लूटपाट की राजधानी बन गयी है। अराजकता की स्तिथि के लिए दिल्ली सरकार पूरीं तरह से नाकाम साबित हो चुकी है। इसलिए दिल्ली को रहने लायक शहर बनाये रखने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संकट मोचक गृह मंत्री अमित शाह को अविलंब हस्तक्षेप करना चाहिए।

आल इंडिया माइनोरिटीज़ फ्रंट के अध्यक्ष डॉ सैयद मोहम्मद आसिफ ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा कि दिल्ली की इस भयावह स्थिति को नहीं संभाल गया तो यहां अराजकता फैल जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि  कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपराज्यपाल को राजधानी के लोगों के जन माल की कोई परवाह नहीं है। उन्हें नागरिको को भयमुक्त बनाना था लेकिन दिल्ली में अपराधी भयमुक्त हो गए है। दिल्ली।पुलिस जनता को सुरक्षा देने में कोई रुचि नहीं दिखाई दे रहे है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली के बाड़ा हिंदू राव इलाके मेंनबदमाशों ने सरेआम अंधाधुंध फायरिंग की गोली लगने से दो राहगीरों की मौत हो गयी। इसी तरह द्वारका में एक परिवार को दिनदहाड़े बन्धकनबना कर बदमाश लुटेरों ने लाखों की नगदी घर के आभूषण लूट लिए। पुलिस अभी तक उन्हें पकड़ने में नाकाम है।

माइनोरिटीज़ फ्रंट के अध्यक्ष डॉ आसिफ ने कहा जघन्य अपराधों का सिलसिला लगातार बना हुआ । देश की राजधानी दिल्ली में हर घंटे बढ रहे अपराध, पुलिस के आंकडे खुद गवाही दे रहे हैं।

लॉकडाउन के सख्ती से पालन के लिए कानून व्यवस्था को भी चाक चौबंद रखने की भरपूर कोशिश की गई , लेकिन दिल्ली में इस दौरान रेप ,डकैती, स्नैचिंग और वाहन चोरी के मामले तेजी से बढ़े हैं. औसतन हर दिन 811 यानी 34 एफआईआर हर घंटे में दर्ज हो रही हैं.

यही नहीं, इस साल 1 जनवरी से 15 जून तक कुल 833 रेप के मामले दर्ज किए गए हैं. जबकि 2020 में इसी अवधि के दौरान ऐसे मामले कम थे. इस साल कोरोना लॉकडाउन के चलते सार्वजनिक स्थान, स्कूल और ऑफिस बंद के बावजूद  राजधानी में स्ट्रीट क्राइम में इजाफा हुआ है. दिल्ली में 2020 में 15 जून तक पति और ससुराल वालों द्वारा क्रूरता के 824 मामले दर्ज किए गए थे. इस साल 15 जून तक इन मामलों की संख्या 1712 है.

दिल्ली में महिलाओं के साथ रेप करने के इरादे से होने वाले हमलों के मामलों में 39 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. पुलिस पिछले साल यानी 2020 में 15 जून तक ऐसे 735 मामले दर्ज किए थे. जबकि इस साल ये बढ़कर 1022 हो गए हैं. यही नहीं, दिल्ली में महिलाओं के अपहरण की घटनाओं में भी करीब 55 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. शहर में 2020 में अपहरण के 1026 मामले दर्ज किए गए, वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 1580 हो गया है. इसके अलावा महिलओं के अपहरण के मामलों में तीन गुना से अधिक का इजाफा हुआ है. यह संखया 2020 में 46 थी और 2021 में 159 हो गई है. हालांकि 2020 में महिलाओं की हत्या के 226 मामले दर्ज किए थे, लेकिन इस साल 15 जून तक 196 मामले सामने आए हैं.

दिल्ली पुलिस के खुद स्वीकार करतीं है कि 1 जनवरी 2021 से लेकर 15 जून 2021 के बीच  तक 123295 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं. जबकि पिछले साल इसी समय अवधि में यह आंकड़ा महज 113855 का था.

दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 1 जनवरी से 15 जून के बीच लूट के करीब 701 मामले दर्ज किए गए थे. जबकि इस साल 15 जून तक यह आंकड़ा 942 से अधिक है. वहीं, दिल्ली में स्नैचिंग के मामलों में 46 फीसदी की वृद्धि हुई. इस साल स्नैचिंग के 3800 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं. जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 2600 था.

यही नहीं, दिल्ली में इस साल 15 जून तक 63 हजार से अधिक चोरी के मामले दर्ज किए गए हैं, जो कि पिछले साल की तुलना में करीब 7 हजार अधिक हैं. इसके साथ मोटर वाहन चोरी और घर में चोरी के मामले भी बढ़े हैं. दंगों के मामले 2020 में 681 से घटकर इस साल 35 रह गए हैं। ऐसी स्तिथि में दिल्ली को संभालना बहुत ज़रूरी है। मुख्यमंत्री केजरीवाल अपनी सामाजिक राजनैतिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। उपराज्यपाल दिल्ली पुलिस के सर्वेसर्वा हैं। इस स्तिथि में वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। प्रधानंत्री को सीधे पहल कर दिल्ली को संभालने का कार्य करना चाहिए। क्योंकि दिल्ली को सिर्फ केजरीवाल और अनिल बैजल के सहारे नहीं छोड़ा नहीं सकता ।

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