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राज्यसभा में चला ‘महाराजा’ बनाम ‘राजा’ वार-पलटवार

नई दिल्ली| राज्यसभा में गुरुवार को महाराजा बनाम राजा वार-पलटवार का दौर चला। ग्वालियर के पूर्व महाराजा और अब भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और राघोगढ़ के पूर्व राजा कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने एक-दूसरे पर शब्दों से प्रहार किया। उच्च सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान, पहले सिंधिया ने भाजपा का पक्ष लेते हुए, बिना किसी कारण सरकार पर हमला करने पर कांग्रेस की आलोचना की।

सिंधिया ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया और कहा कि उनके कुशल नेतृत्व के कारण देश का नाम और प्रसिद्धि बढ़ रही है। विपक्षी दलों पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, “यदि आप सुनना चाहते हैं, तो आपको दूसरों को भी सुनने की आदत डालनी चाहिए। फिर भी, संसद का बजट सत्र शुरू होने पर विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया।”

सिंधिया पर पलटवार करते हुए कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष किया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री संघीय ढांचे के खिलाफ हैं, इसलिए उन्होंने बिना किसी पूर्व सूचना के, राज्यों के मुख्यमंत्रियों से विमर्श किए बिना तालाबंदी लागू कर दी थी।

लेकिन उन्होंने सिंधिया को बधाई देने के साथ आपनी बात शुरू की। उन्होंने कहा, “मैं माननीय सिंधिया जी को बधाई देना चाहता हूं। उन्होंने आज भाजपा का पक्ष उतना ही शानदार ढंग से सामने रखा है, जितना अतीत में वे कांग्रेस के विचारों को रखते थे। बधाई हो सिंधिया जी। वाह जी, महाराज!”

सिंह ने आगे कहा, “यह सदन राज्यों का सदन है और मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री संघीय ढांचे के खिलाफ हैं, क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्रियों से सलाह नहीं ली और तालाबंदी कर दी। सिंगापुर जैसे देशों ने भी आठ दिन पहले नोटिस दिया था।”

मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह ने भाजपा में शामिल होने के लिए सिंधिया पर हमला किया। उन्होंने कहा, “उन्हें जवाब देना चाहिए कि कोविड के खतरे की अनदेखी कर मप्र की सरकार क्यों गिराई गई?”

उन्होंने कहा कि सरकार अब किसानों के विरोध को नजरअंदाज कर रही है और सवाल किया कि पहले किसान आंदोलन पर सबसे आगे बढ़कर जवाब देने वाले राजनाथ सिंह को किसानों के साथ बातचीत करने वाले पैनल में नहीं रखा गया, लेकिन पीयूष गोयल, जिन्हें कुछ नहीं करना था, किसानों के साथ हुई बैठकों में रहे।

सिंह ने कहा, “विरोध करना लोकतंत्र का मूल तत्व है और विभिन्न मामलों में असंतुष्टों पर मामला दर्ज करवाया जा रहा है और यहां तक कि जमानत से भी इनकार कर दिया गया है।”

–आईएएनएस

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