भोपाल :केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत की आत्मा और भारतीयता की उद्घोषणा है। दुनिया के देशों से पढ़ने के लिए भारत आएंगे विद्यार्थी चिकित्सा और अभियांत्रिकी की शिक्षा हिन्दी में देने के लिए म.प्र. सरकार के प्रयास सराहनीय यह नीति शिक्षा के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ विचारों को जमीन पर लाने का कार्य कर रही है। स्वभाषा और मातृभाषा के सम्मान और मन की शक्ति को बढ़ाते हुए भारतीय कलाओं और संस्कृति को प्राथमिकता देने वाली व्यावहारिक नीति है। एक समय आएगा, जब दुनिया के देशों के लोग भारतीय शिक्षण संस्थानों में अध्ययन के लिए बड़ी संख्या में आएंगे। भारतीय शिक्षण संस्थाएँ विश्व के श्रेष्ठ शिक्षण संस्थाओं में शामिल होंगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति नागरिक आकांक्षाओं का प्रतिबिम्ब है। यह नीति भविष्य के भारत की नींव भी है। इस नीति का शिक्षा क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों को गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए। इससे नीति के क्रियान्वयन को भी बल मिलेगा। सामर्थ्य, पहुँच, गुणवत्ता, निष्पक्षता और जवाबदेही इस नीति के प्रमुख पाँच स्तंभ हैं।
केन्द्रीय मंत्री श्री शाह आज विधानसभा के मानसरोवर सभा गृह में स्व. कुशाभाऊ ठाकरे जी की जन्म शताब्दी पर भारत की शिक्षा नीति पर हुई संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। श्री शाह ने लगभग एक घंटे के वैचारिक प्रबोधन में नवीन शिक्षा नीति की विशेषताओं का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने मध्यप्रदेश में इस नीति के बेहतर क्रियान्वयन की सराहना भी की।
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नेतृत्व करते हुए नवीन शिक्षा नीति को इतना समर्थ बनाया है कि यह नीति विद्यार्थियों और गुरूजन के मन की शक्ति को बढ़ाने के लिए विश्लेषण, तर्क, स्मृति, निर्णय क्षमता, क्रियान्वयन और मीमांसा करने के सामर्थ्य पर जोर देती है। किसी भी तरह की शिक्षा व्यक्ति को सफल तो बना सकती है, लेकिन उसे बड़ा व्यक्ति बनाने के लिए मन की शक्ति बढ़ाना आवश्यक होगा। कोई भी राष्ट्र यदि महान बनता है तो उस राष्ट्र की नदियों और पहाड़ों से ही नहीं, बल्कि महान व्यक्तियों से बनता है। हमारी नई शिक्षा नीति भी ऐसी है, जो महान व्यक्तित्व निर्माण के उद्देश्य को पूरा करती है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उल्लेख करते हुए कहा कि शिक्षा ऐसी होना चाहिए, जो जीवन के संघर्षों को झेलने के लिए योग्य बनाती हो। यदि यह क्षमता शिक्षा में नहीं है तो वह शिक्षा निरर्थक है। हमें अपनी संस्कृति से जुड़ने और परोपकार जैसे गुणों से ओत-प्रोत बनाने के लिए सार्थक शिक्षा मिलना चाहिए। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ऐसा ही बीज है, जो वट वृक्ष बनकर विश्व को छाया देने में समर्थ होगा। नीति में शिक्षा विज्ञान और संस्कृति की त्रिवेणी है। हम ब्रह्मांड का ज्ञान अपनी संस्कृति के साथ दिलाएंगे, तो शिक्षा सार्थक होगी। यदि बच्चों में विश्लेषण की क्षमता और सिंह जैसा साहस निर्मित हो तो ऐसी शिक्षा कौन ग्रहण नहीं करना चाहेगा। पूर्व की नीति ऐसी नहीं थी। यह नीति मूल शिक्षा के आधार पर तैयार की गई है।
केन्द्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि यह प्रथम शिक्षा नीति है, जो भारतीय व्यक्तियों के विचारों के अनुकूल है। बच्चों में ज्ञान-विज्ञान के मूल स्त्रोत को जागृत करना, नीति का प्रमुख उद्देश्य है। पहले शिक्षा में रटा-रटाया पाठ्यक्रम होता था। अब जो नीति लागू की गई, वो बच्चों के अंदर समाहित ईश्वर प्रदत्त शक्तियों को उभार कर उन्हें तराशे जाने के लिए अवसर उपलब्ध करवाती है। इस नीति को भिन्न-भिन्न दृष्टि से देखें तो यह रोजगार की वृद्धि, अभिव्यक्ति के मंच उपलब्ध कराने, तकनीक के उपयोग और अनुसंधान की संभावनाओं को विकसित करने वाली नीति है। मातृभाषा और भारतीय भाषाओं के महत्व को प्रतिपादित करने वाली यह नीति अंग्रेजों की उस साजिश को भी समाप्त करने का कार्य करती है, जिसमें उन्होंने भाषा के आधार पर भारतीयों में हीन भावना पैदा करने का प्रयास किया जबकि भारतीय प्रतिभाओं ने शून्य को अविष्कार किया, विज्ञान के आयामों को भी हमने छुआ है। भाषाओं की सोच के आगे जाकर प्रगति के मार्ग पर चलने का कार्य किया।
केन्द्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री चौहान चिकित्सा और अन्य तकनीकी पाठ्यक्रमों को हिन्दी में उपलब्ध करवाने के निर्णय के लिए बधाई के पात्र हैं। स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद मातृ भाषा और क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व मिला है। निश्चित ही हम क्षमतावान नागरिक पैदा करेंगे। वर्ष 2030 तक अनुसंधान और विकास पर जोर देते हुए हम प्रगति के मार्ग पर बढ़ेंगे और वर्ष 2040 तक काफी राष्ट्रों से आगे निकल जाएंगे। श्री शाह ने कहा कि तकनीक और अनुसंधान को बढ़ावा देते हुए शिक्षा के क्षेत्र में शाला त्यागने में उल्लेखनीय कमी आएगी। वर्तमान में भी नामांकन का प्रतिशत बढ़ कर 92 प्रतिशत हो गया है। यदि विद्यार्थी स्कूल जाना छोड़ते हैं तो उनमें से अधिकांश इस बात से अंजान होते हैं कि वे किस तरह का जीवन बिताएंगे। यह दायित्व सरकारों का है कि विद्यार्थियों की शालाओं में रूचि कायम रखी जाए। उन्होंने शिक्षा के प्रत्येक आयाम को स्पर्श करने वाली इस नई शिक्षा नीति में समस्त शिक्षकों और प्राध्यापकों द्वारा पूरा सहयोग दिए जाने का आह्वान किया। केन्द्रीय मंत्री श्री शाह ने शिक्षा नीति में प्राथमिक स्तर, माध्यमिक और पर किए गए विभिन्न प्रावधानों का उल्लेख किया। नीति की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सिर्फ एक पुस्तक न होकर एक संपूर्ण पुस्तकालय है।
ठाकरे जी का जीवन एक उदाहरण – केन्द्रीय मंत्री श्री शाह
केन्द्रीय मंत्री श्री शाह ने स्व. कुशाभाऊ ठाकरे का स्मरण करते हुए कहा कि वे जो शिक्षा अन्य लोगों को देते थे, उस पर स्वयं भी चल कर दिखाते थे। मध्यप्रदेश के निवासी भाग्यशाली हैं कि उन्हें प्रदेश में ऐसे महापुरूष का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। कोई व्यक्ति किस तरह का सेवाभावी हो, यह जानना है तो कुशाभाऊ जी के जीवन को देखें। उनका पूरा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित था। वे आपातकाल में 19 माह कारावास में भी रहे। स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर तक अनेक दायित्वों का निर्वहन किया। उनका जीवन राष्ट्र के लिए कार्य करने की दृष्टि से एक विशिष्ट उदाहरण है। उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर इस वैचारिक संगोष्ठी का आयोजन सराहनीय है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि मध्यप्रदेश में स्व. कुभाभाऊ ठाकरे की स्मृति में विभिन्न कार्यक्रम हो रहे हैं। स्व. ठाकरे जी का भाषण नहीं, आचरण बोलता था। स्व. ठाकरे के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम सभी ठाकरे जी के जीवन को आदर्श मानकर देश को आगे बढ़ाने का कार्य करें। आज शिक्षा नीति पर इस संगोष्ठी के अवसर पर यह बताना प्रासंगिक होगा कि मध्यप्रदेश में विद्यार्थियों को शिक्षा के तीन प्रमुख उद्देश्यों ज्ञान, कौशल और नागरिकता के संस्कार देने के अनुसार व्यवस्थाएँ की गई हैं। शिक्षा बहुआयामी हो। संगीत जानने वाला गणित भी पढ़े और वाणिज्य का विद्यार्थी कलाओं का ज्ञान भी प्राप्त करें, यह आवश्यक है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने शिक्षा नीति में मातृ भाषाओं को महत्व दिया है। उनके विचार और राष्ट्र भाषा को महत्व देते हुए मध्यप्रदेश में इसी शिक्षण-सत्र से गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में चिकित्सा पाठ्यक्रम हिन्दी में संचालित करने की शुरूआत हो रही है। साथ ही इंजीनियरिंग महाविद्यालयों और पॉलिटेक्निक महाविद्यालयों में हिन्दी पाठ्यक्रमों की शुरूआत हो रही है। युवाओं को तकनीकी कौशल देने के लिए 10 संभागीय मुख्यालयों में मॉडल आईटीआई की पहल और भोपाल में ग्लोबल स्किल पार्क के माध्यम से 10 हजार विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष प्रशिक्षित करने के कार्य हो रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में टॉस्क फोर्स कार्य कर रही है। बीते दशकों की कमियों को दूर कर शिक्षा क्षेत्र में विद्यार्थियों को आत्म-निर्भर बनाने और आत्म-सम्मान के साथ जीने के लिए आवश्यक वातावरण बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना निर्धन परिवारों के लिए वरदान बनेगी। मध्यप्रदेश के स्कूली विद्यार्थी, शाला त्यागी नहीं बनेंगे। स्व-रोजगार के अवसरों को बढ़ाने वाली शिक्षा प्रदान की जा रही है। सीएम राईज विद्यालय का प्रयोग प्रारंभ करते हुए 370 विद्यालय 10 से 15 ग्रामों के विद्यार्थियों को एकत्र कर लोक परिवहन से विद्यालय तक ले आने का कार्य करेंगे। इसके अलावा शिक्षा के साथ खेल गतिविधियों को भी मध्यप्रदेश में बढ़ावा दिया जा रहा है।
प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रधानमंत्री श्री मोदी के निर्देशन और सान्निध्य में केन्द्रीय गृह मंत्री द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण राष्ट्रीय महत्व के फैसलों के लिए प्रदेश की जनता की ओर से उनका अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री श्री शाह माँ भारती की अखण्डता के लिए अभूतपूर्व कार्य कर रहे हैं। सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जन्म-शताब्दी वर्ष समारोह समिति ने अनेक कार्यक्रमों की रचना कर आमजन को स्व. ठाकरे जी के दर्शन से परिचित करवाने का कार्य किया है।
प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह, कृषि विकास और किसान-कल्याण मंत्री श्री कमल पटेल, उच्च शिक्षा मंत्री श्री मोहन यादव, संस्कृति मंत्री सुश्री ऊषा ठाकुर, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री इंदरसिंह परमार सहित श्री हितानंद शर्मा, पूर्व सांसद श्री सत्यनारायण जटिया, भोपाल की महापौर श्रीमती मालती राय, श्री सुमित पचौरी एवं अनेक शिक्षण संस्थानों के प्रमुख, विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद्, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे।
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