नई दिल्ली: सत्याग्रह के तहत ‘रेप रोको आंदोलन’ के जरिए जनांदोलन खड़ा कर रहीं दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल मानती हैं कि बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर समाज असंवेदनशील हो गया है। छेड़छाड़ और दुष्कर्म जैसे संगीन अपराधों पर चुप्पी साधने की संस्कृति अब खत्म करनी होगी। उम्मीद है कि यह आंदोलन महिला सुरक्षा के नाम पर मील का पत्थर साबित होगा।
आम आदमी पार्टी से ताल्लुक रखने वाली स्वाति दो टूक कहती हैं, “हम बदलाव चाहते हैं। हर बार की तरह महिला हिंसा पर मौन धारण करने की आदत और सिस्टम में बदलाव हमारा मिशन है।”
उन्होंने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, “अब बहुत हो गया, जुर्म करने वालों में कानून का कोई भय नहीं है। हमारी सीधी-सपाट मांग है कि नाबालिगों के साथ दुष्कर्म करने वालों को छह महीने के भीतर मौत की सजा मिले। छेड़छाड़ सहित अन्य मामलों में तेजी से सुनवाई हो, ताकि पीड़िता को समय पर न्याय मिल सके।
स्वाति ने कहा, “हम इस आंदोलन के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोगों के हस्ताक्षर युक्त एक लाख पत्र सौंपने जा रहे हैं, जिनमें महिला उत्पीड़न से निपटने के उपायों पर जोर होगा। आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर शांतिपूर्ण मार्च के साथ बड़ा ऐलान भी हो सकता है।”
लोगों में पनप रही अपराध की प्रवृत्ति पर चिंता प्रकट करते हुए उन्होंने कहा, “हाल ही में आपने एक वीडियो देखा होगा, जिसमें एक शख्स डीटीसी की बस में डीयू की एक छात्रा के सामने खुलेआम हस्तमैथुन कर रहा है। उसे इस बात का भी डर नहीं है कि बस में 30 से 40 लोग बैठे हैं, छात्रा वीडियो बना रही है। वह बेधड़क बेशर्मी दिखा रहा है। हमारा समाज किस ओर जा रहा है? जब तक सरकार और समाज महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध के खिलाफ खड़े नहीं होंगे, कुछ नहीं बदलेगा।”
डीसीडब्ल्यू प्रमुख ने कहा, “जब छात्रा ने बस में सवार उस शख्स की अश्लील हरकत की अन्य यात्रियों से शिकायत की, तब एक भी शख्स कुछ नहीं बोला, न मदद को आगे आया। हम वही लोग हैं, जो घर में बैठकर महिला सुरक्षा की लंबी-लंबी बातें किया करते हैं।”
महिला सुरक्षा के नाम पर स्वाति एक महीने के सत्याग्रह पर हैं। 31 जनवरी को शुरू इस सत्याग्रह के तहत स्वाति कार्यालय में ही रहकर सभी कामकाज कर रही हैं। उन्होंने कहा, “आज सत्याग्रह का 16वां दिन है। मैं 16 दिन से अपने घर नहीं गई हूं। मैं और मेरी टीम कार्यालय में ही रहकर दिन-रात काम कर रहे हैं। हमारी मांग यह भी है कि महिला अपराधों से संबंधित आईपीसी और पोस्को अधिनियम में आवश्यक संशोधन किया जाए। यौन उत्पीड़न के लिए अतिरिक्त फास्ट्रैक अदालतों की स्थापना की जाए। दिल्ली पुलिस में तत्काल 14,000 पदों पर नियुक्तियां की जाएं।”
इन आंदोलनों की जरूरतों पर स्पष्टीकरण देते हुए स्वाति ने कहा, “आप देख रही हैं, हालात क्या हैं.. लोग मूक दर्शक बने रहते हैं। किसी में कोई डर नहीं है। हमारी मांग है कि कम से कम छोटी बच्चियों को तो तुरंत न्याय दीजिए। हम ढाई साल से जूझ रहे हैं, इन अपराधों को बर्दाश्त कर रहे हैं। लोगों में यह डर बैठाना जरूरी है कि आप किसी महिला या बच्ची की अस्मिता से खिलवाड़ कर बच नहीं सकते।”
–आईएएनएस
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