नई दिल्ली | कांग्रेस ने सोमवार को मांग की कि रैपिड टेस्ट किट की खरीदी के सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाए। दिल्ली उच्च न्यायालय में एक सुनवाई के बाद कोविड-19 परीक्षण में एक कंपनी द्वारा बड़े पैमाने पर मुनाफाखोरी करने के बारे में पता चला है। ये किट भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को बेची गई हैं। अदालत में यह कानूनी विवाद सामने आया कि एक ही कंपनी ने तमिलनाडु सरकार को 400 रुपये प्रति किट के हिसाब से आपूर्ति की, लेकिन आईसीएमआर के लिए यह दर 600 रुपये थी।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, “परीक्षण किटों के आयात पर अराजकता चल रही है और सरकार को बताना चाहिए कि उनके द्वारा क्या कार्रवाई की गई है।”
यह मामला बिचौलिए का है, जिसमें एक कंपनी ने 245 रुपये में परीक्षण किट खरीदी और उस किट को उसने आईसीएमआर को 600 रुपये प्रति किट के हिसाब से पांच लाख किट की आपूर्ति की। आपूर्ति में शामिल दोनों कंपनियों ने 18 करोड़ रुपये से अधिक का मुनाफा कमाया।
जब अदालत ने इस कंपनी को फटकार लगाई तो वह इसे 400 रुपये प्रति किट की दर से आपूर्ति करने के लिए सहमत हो गई।
तिवारी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है कि कंपनियां लाभ में हैं और सरकार कोई जांच नहीं कर रही है, इसलिए यह बहुत बड़ी विसंगति है। सरकार को कागजात को सार्वजनिक करना चाहिए, क्योंकि उसी ने किटों की खरीदी का केंद्रीकरण किया है।
पार्टी के नेता राहुल गांधी ने यह भी कहा, “कोई भी इंसान अपने लाखों भाइयों और बहनों को अथाह पीड़ा से मुक्ति दिलाने की कोशिश करेगा। यह घोटाला हर भारतीय का अपमान है। मैं भ्रष्टाचारियों पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं।”
–आईएएनएस
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