नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे पंजाब और हरियाणा के किसान आंदोलन को लंबा चलते देख मशीनीकरण पर विशेष फोकस कर रहे हैं। बड़ी संख्या में जुटे किसान अपनी सहूलियत को ध्यान में रखते हुए दैनिक जरूरतों के हिसाब से कई प्रकार की मशीनों को प्रयोग कर रहे हैं। किसानों की सहूलियत के लिए काम आ रही इन मशीनों से उन्हें सड़क पर डटे रहने के लिए एक प्रेरणा भी मिल रही है।
दिल्ली-हरियाणा सीमा पर पिछले 15 दिनों से विरोध कर रहे किसान रोटी बनाने वाली मशीनों का उपयोग कर रहे हैं। खुले आसमान में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के लिए रोजाना तीन समय के भोजन के लिए यह मशीनें खूब काम आ रही हैं और इनसे दिन में हजारों रोटियां बनाई जा रही हैं।
चूंकि किसानों को अपने घर से निकले दो सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है, इसलिए उन्हें खाने के साथ ही अपने कपड़ों का ध्यान भी रखना पड़ रहा है। धूल-मिट्टी, कीचड़, प्रदूषण और पसीने के बीच उनके कपड़े समय-दर-समय साफ रहें, इसलिए इनकी धुलाई के भी इंतजाम हो चुके हैं। किसानों के कपड़ों की धुलाई के लिए वाशिंग मशीन काम आ रही हैं।
चूंकि आंदोलन में अधिकांश प्रदर्शनकारी बुजुर्ग हैं, इसलिए इन वाशिंग मशीनों की अहमियत और भी बढ़ जाती है। इससे किसानों, खासकर बुजुर्ग किसानों को लंबे आंदोलन के लिए अपनी अतिरिक्त ऊर्जा लगाने की जरूरत है।
इसके साथ ही किसानों के मोबाइल फोन की चार्जिग के लिए भी जगह-जगह विशेष इंतजाम किए गए हैं। किसान अपने घरों से दूर हैं और उन्हें अपने परिजनों के साथ भी लगातार संपर्क बनाए रखना है। इस लिहाज से उनके मोबाइल फोन की चार्जिग भी बहुत जरूरी है।
किसानों के सामने पहले से ही एक बड़ी चुनौती है और वह है लगातार बढ़ रही सर्दी। अगर राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर डटे किसानों के मुद्दे जल्द हल नहीं होते हैं, तो उन्हें आने वाले दिनों में और भी अधिक कठोर सर्दियों का सामना करना पड़ सकता है। किसानों ने हालांकि अपने ट्रैक्टर-ट्राली के ऊपर तिरपाल (टेंट) लगाए हुए हैं, मगर आने वाले दिनों में सर्दी अपने चरम पर होगी और उस समय इन टेंट में रात गुजारना किसी चुनौती से कम नहीं रहने वाला है।
विरोध प्रदर्शन स्थलों पर लंगर सेवाएं जारी हैं, जिसके माध्यम से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों और यहां उनके समर्थन में आने वाले लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाती है। बड़ी संख्या में जुटे लोगों के भोजन के लिए रोटी बनाने वाली मशीनें काफी काम आ रही हैं। यहां बड़ी मात्रा में भोजन पकाने के लिए बड़े बर्तनों की व्यवस्था है।
लोगों के लिए रोटियां तैयार करने वाले गुरविंदर सिंह ने आईएएनएस को बताया, “हम एक दिन में लगभग 1,500-2,000 रोटियां पकाते हैं। लंगर सभी के लिए खुला है और सभी के साथ समान व्यवहार किया जाता है क्योंकि यह गुरु नानक देव जी द्वारा शुरू किया गया था।”
वॉशिंग मशीन आसपास के क्षेत्रों से लाई गई हैं। किसानों की मदद करने खासतौर पर उम्रदराज किसानों की सहायता के लिए किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल और उनके समर्थक यह मशीन लेकर आए हैं। ये मशीनें ट्रैक्टर ट्रॉलियों के जनरेटर और बैटरी द्वारा संचालित की जाती हैं।
पंजाब के फतेहगढ़ के जगजीत ने कहा, “हम किसानों की मदद कर रहे हैं ताकि इस विरोध के बीच सड़क पर अपना जीवन व्यतीत कर रहे किसानों की दिनचर्या कुछ आसान हो सके।”
विरोध स्थल पर पहुंचे प्रिंस किसानों की मदद के लिए दो वॉशिंग मशीन लेकर आए हैं। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “सुबह से हमने मुख्य रूप से वृद्ध किसानों के 100 से अधिक कपड़े धोए हैं। हम यह केवल इसलिए नहीं कर रहे कि वे बड़ी संख्या में हैं, बल्कि उन वरिष्ठ लोगों की मदद करना भी अच्छा लगता है, जो अपनी अगली पीढ़ी के लिए बेहतर भविष्य के लिए लड़ रहे हैं।”
इनके अलावा सिंघु बॉर्डर विरोध स्थल पर मुफ्त वाईफाई सेवा और मोबाइल चार्जिग के लिए पावर प्वाइंट भी उपलब्ध हैं। इन्हें ट्रैक्टर की बैटरी, जनरेटर और यहां तक की कहीं-कहीं पर तो सौर ऊर्जा से भी चलाया जा रहा है।
कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन गुरुवार को 15वें दिन में प्रवेश कर गया और हर गुजरते दिन के साथ भीड़ उमड़ रही है।
अपनी मांगों का संतोषजनक समाधान नहीं होने से दुखी होकर आंदोलनकारी किसानों ने शनिवार को या उससे पहले दिल्ली-जयपुर राजमार्ग को अवरुद्ध करने की घोषणा की है। किसानों की आगे की रणनीति को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस भी हाई अलर्ट पर है।
दिल्ली के पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं, क्योंकि प्रदर्शनकारी किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने की धमकी दी है।
–आईएएनएस
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