नई दिल्ली: लॉकडाउन के बाद राशन और दवाइयों को जमा करने वाले लोगों के प्रतिशत में इजाफा हुआ है। यह इजाफा कोरोना की वजह से पैदा हुई अनिश्चतता की वजह से हुआ है। 16 मार्च से 22 जुलाई के बीच किए गए आईएएनएस-सीवोटर कोविड-19 ट्रैकर से पता चला है कि लॉकडाउन से पहले कोई भी एक सप्ताह से ज्यादा का राशन अपने पास नहीं रखता था। हालांकि लाकडाउन लागू होने के बाद से खरीदने के पैटर्न और ग्राहक के व्यवहार में बदलाव आया है।
पोल से पता चला है कि 54.3 प्रतिशत लोगों के पास अब राशन, मेडिसिन व पैसे घर में तीन महीने से ज्यादा समय के लिए रहते हैं। जबकि 44.7 प्रतिशत के पास यह सामग्री तीन सप्ताह से कम समय के लिए रहती है।
अगर डाटा को सप्ताह के हिसाब से बांटे तो, 5 प्रतिशत के पास तीन हफ्तों के लिए राशन, मेडिसिन और पैसे हैं। जबकि 27.7 प्रतिशत लोगों के पास यह एक माह के लिए है और 21.6 प्रतिशत लोगों के पास यह एक माह से ज्यादा समय के लिए है।
वहीं 12.2 प्रतिशत लोगों के पास एक सप्ताह से कम समय के लिए यह सामग्री है। 19 प्रतिशत के पास एक सप्ताह के लिए और 13.5 प्रशित के पास दो सप्ताह के लिए यह सामग्री है।
–आईएएनएस
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