नई दिल्ली: करीब सात साल पहले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए लोकपाल के गठन की मांग को लेकर भूख हड़ताल की थी और अब सात साल बाद वह एक बार फिर इस मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। अन्ना हजारे ने शुक्रवार को एक बार फिर लोकपाल व किसानों की मांगों पर दबाव बनाने के लिए रामलीला मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया।
हजारे रामलीला मैदान पहुंचे, जहां उनके हजारों समर्थक मौजूद हैं।
हजारे महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद रामलीला मैदान पहुंचे।
वह देश में कृषि संकट को हल करने के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता हजारे केंद्र में लोकपाल व राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए दबाव बना रहे हैं।
उनके 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को निशाना बनाया था। इस आंदोलन से आम आदमी पार्टी (आप) का जन्म हुआ, जो वर्तमान में दिल्ली में सत्ता में है। इस बार उनके आंदोलन के निशाने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार है।
बीते महीने गांधीवादी हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्र में लोकपाल की नियुक्ति में रुचि नहीं दिखाने का आरोप लगाया था। हजारे ने कहा कि मोदी कभी लोकपाल के बारे में गंभीर नहीं रहे।
अन्ना हजारे ने कहा कि लोकपाल की नियुक्ति के पीछे देरी का कारण यह है कि प्रधानमंत्री को डर है कि एक बार इसके वास्तविकता बन जाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय व उनके कैबिनेट के सदस्य इसके दायरे में आ जाएंगे।
हजारे के मौजूदा सत्याग्रह का मकसद किसानों की समस्याओं व चुनाव सुधार की जरूरतों को उजागर करना भी है।
हजारे ने बीते रविवार कहा कि वह तीन साल से इन मुद्दों पर चुप थे और केंद्र की भाजपा की अगुवाई वाली सरकार से इन मुद्दों पर बातचीत की कोशिश कर रहे थे।
–आईएएनएस
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