ब्रह्मानंद राजपूत,
दिल्ली विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की राजधानी है। देश की सरकार यहीं से चलती है और देश के लिए नीतियां भी दिल्ली से ही बनती हैं। दिल्ली में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, दिल्ली के मुख्यमंत्री से लेकर संसद तक है। इन सबके बावजूद लोगों को सांस लेने के लिए साफ हवा नहीं मिल पा रही है। इसका कारण है दिल्ली और देश के कई इलाकों में बढ़ता वायु प्रदूषण। कुछ साल पहले ठण्ड के दिनों में दिल्ली में कोहरा छा जाता था लेकिन कुछ सालों में बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से कोहरे कि जगह ‘स्मॉग’ (धुंध) ने ले ली है। यह ‘स्मोक’(धुंआ) और ‘फॉग’ (कुहरे) से मिलकर बना है। यह वायु प्रदूषण की एक अवस्था है। जो कि अत्यधिक खतरनाक है।
स्मॉग से दिल्ली सहित देश के कई बड़े शहरों (आगरा, लखनऊ, कानपुर, चंडीगढ़ इत्यादि) का वायु प्रदूषण जिस खतरनाक स्तर पर चला गया है, उससे दिल्ली सहित इन शहरों के लोगों को स्वास्थ्य सहित तमाम तरह की परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। इससे सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों और बुजुर्गों को उठानी पड़ रही है। सबसे ज्यादा परेशानी दिल्ली सहित पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई बड़े महानगरों में हैं। इन बड़ेबड़े शहरों में अनगिनत जेनरेटर धूंआ उगल रहे हैं, वाहनों से निकलने वाली गैस, कारखानों और विद्युत गृह की चिमनियों तथा स्वचालित मोटरगाड़ियों में विभिन्न इंधनों के पूर्ण और अपूर्ण दहन भी प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं।
लगातार जहरीली गैसों कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड और अन्य गैसों सहित एसपीएम, आरपीएम, सीसा, बेंजीन और अन्य खतरनाक जहरीले तत्वों का उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। जो कि मुख्य कारण है वायु प्रदूषण का। कई राज्यों में इस समस्या का कारण किसानों द्वारा फसल जलाना भी है। साथ ही साथ अधिक पटाखों का जलाना भी वायु प्रदूषण को बढ़ावा देता है। आज जरूरत है केंद्र और प्रदेश सरकारों को वायु प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य जोखिम के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए। और लोगों को विज्ञापन या अन्य माध्यम से वायु प्रदूषण व अन्य प्रदूषण के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। लेकिन विडंबना है कि इस पर अमल नहीं हो रहा है। सरकार को किसानों को फसलों को न जलाने के लिए जागरूक करना चाहिए। किसानों को फसलों (तूरियों) को जलाने की जगह चारे, खाद बनाने या अन्य प्रयोग के लिए जागरूक करना चाहिए। ज्यादा प्रदूषण करने वाले पटाखों पर भी सरकार को प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।
हमारी सरकार को ईधन की गुणवत्ता को बढ़ाकर पॉल्यूशन को काफी हद तक कंट्रोल करने पर जोर देना चाहिए। जिससे उसमें उपलब्ध जरूरी तत्वों की मात्रा आवश्यकता से अधिक न हो तथा उत्सर्जन निर्धारित मानक अनुसार रहे। ईंधन से ज्यादा प्रदूषण करने वाले तत्वों की कमी कैसे की जाए इस पर भी सरकारों को मिलकर काम करना चाहिए। कम पॉल्यूशन करने वाले ईधन जैसे सीएनजी, एलपीजी इत्यादि का अधिक प्रयोग करने लिए लोगों में जागरूकता बढ़ानी चाहिए। साथ ही साथ यातायात प्रणाली में सुधर करना चाहिए। आज सरकारों को उत्सर्जन मानकों का भी सुदृढ़ीकरण करने की जरूरत है। अगर लोग साइलेंसर पर केटालिक कनवर्टर लगाएं तो भी वाहन द्वारा होने वाले वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। सरकार को लोगों को वाहनों का समय पर मेंटीनेंस कराने के लिए जागरूक करना चाहिए। जागरूक लोगों को स्वतः ही अपने वाहनों का मेंटीनेंस करना चाहिए।
जब प्रदूषण स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो स्वास्थ्य के लिए घातक हो जाता है, और तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि फेफड़ों में संक्रमण व आंख, नाक व गले में कई तरह की बीमारियों और ब्लड कैंसर जैसी तमाम घातक बीमारियों को जन्म देता है। अगर क्षेत्र में वायु प्रदूषण मानकों से ज्यादा है तो लोगों को मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। जिससे कि वायु में मिले हुए घातक तत्वों और गैसों से काफी हद तक बचा जा सके। आज प्रदूषण को कम करने के लिए हमारी सरकारों को सम–विषम फॉर्मूला के अलावा अन्य कई उपाय करने पड़ेंगे।
समविषम फाॅर्मूला में बाइक और सिंगल महिला वाले वाहनों को भी शामिल करना होगा। साथ ही साथ नियमों को सख्ती से लागू करना होगा। अगर कोई नियम तोड़ता है तो उस पर जुर्माने का प्रावधान हो। तभी देश में वायु प्रदूषण से निपटा जा सकता है। अगर देश में वायु प्रदूषण से जुडे हुये कानूनों का सख्ती से पालन हो तो वायु प्रदूषण जैसी समस्या से आसानी से निपटा जा सकता है।
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