नई दिल्ली| डूटा ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल को तुरंत हटाने की मांग रखी है। विवेकानंद कॉलेज के 12 तदर्थ शिक्षकों की सेवाओं का नवीनीकरण न करने पर डूटा ने दो दिवसीय आंदोलन भी किया है। आंदोलन के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय में 7 और 8 जून को ऑनलाइन विरोध धरना आयोजित किया गया। डूटा के ऑनलाइन धरने के दूसरे दिन विवेकानंद कॉलेज के शिक्षकों ने उत्पीड़न के अपने अनुभव साझा किए।
विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल द्वारा कोरोना काल में 30 अप्रैल को विभिन्न विभागों में कार्यरत्त 12 एडहॉक टीचर्स की सर्विस टर्मिनेट कर दी । 29 अप्रैल तक इन एडहॉक टीचर्स का कार्यकाल था, 30 अप्रैल को इन्हें पुनर्नियुक्ति दी जानी थी जिसे प्रिंसिपल ने नहीं दी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कई वरिष्ठ शिक्षक डूटा के ऑनलाइन विरोध धरना में शामिल हुए।
डूटा सचिव राजिंदर सिंह ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चौंकाने वाला लगता है कि कार्यवाहक प्रधानाचार्य ने 12 शिक्षकों की सेवाओं को जारी रखने के लिए शासी निकाय के निर्णय को लागू नहीं किया है। यह कॉलेज के सर्वोच्च वैधानिक निकाय की अनदेखी है।
राजिंदर सिंह ने कहा कि विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ हिना नंदराजोग ने 12 शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति न करके उनके और परिवारों के लिए भारी कठिनाई पैदा कर दी है। ये 12 शिक्षक पिछले कई सालों से कॉलेज में पढ़ा रहे हैं।
डूटा के अध्यक्ष राजीब रे ने कहा कि विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल डॉक्टर हिना नंदराजोग को हटाने की मांग जोर पकड़ चुकी है। उन्होंने प्रिंसिपल को 5 साल से अधिक समय तक कार्यालय में रहने की अनुमति देने के लिए विश्वविद्यालय को जिम्मेदार ठहराया। डूटा ने मांग की कि विश्वविद्यालय को कॉलेज को बचाने के लिए प्रिंसिपल को हटाने के लिए ठोस निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए।
शिक्षकों ने एकजुटता के साथ विरोध की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं। कई अन्य कॉलेजों के कर्मचारी संघों ने ऑनलाइन विरोध धरना में एकजुटता के संदेश साझा किए।
–आईएएनएस
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