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Train

श्रमिक स्पेशल से लखनऊ पहुंचे कामगार, मोदी-योगी को सराहा

लखनऊ | नासिक से चलकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन रविवार सुबह राजधानी लखनऊ पहुंची। इस पर सवार 847 प्रवासी मजदूरों के अपने घर जाने की खुशी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी। सारे कामगारों ने एक स्वर में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी को पहुंचाने के लिए सराहना की है। कुल 17 डिब्बों वाली इस ट्रेन में 847 प्रवासी मजदूर सवार थे। इनमें पांच साल से कम उम्र के 11 बच्चे भी शामिल रहे। कोरोना वायरस के संक्रमण में लम्बे लॉकडाउन के कारण अपने घरों से हजारों किलोमीटर दूर फंसे अप्रवासी कामगार विशेष ट्रेन से महाराष्ट्र के नासिक रोड रेलवे स्टेशन से लखनऊ पहुंचे।

लखनऊ पहुंचने वाले इन सभी अप्रवासी श्रमिकों का मेडिकल चेपअप किया गया। स्कैनिंग के बाद इन सभी को रेलवे स्टेशन प्रांगण में ही नाश्ता का पैकेट प्रदान किया गया।

इस दौरान रेलवे व जिला प्रशासन के साथ ही परिवहन विभाग व स्वास्थ्य विभाग की टीमें काफी मुस्तैद थीं। इन सारी प्रक्रिया के बाद इन सभी को विशेष बसों से उनके जिलों के लिए रवाना किया गया। जहां पर यह सभी लोग 14 दिन पर क्वारंटाइन होम में रहने के बाद अपने-अपने घर जाएंगे।

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने इन सभी को इनके जिलों तक पहुंचाने के लिए बसों का बेड़ा लगाया। बस में शारीरिक दूरी का पालन की प्रक्रिया के तहत इन सभी अप्रवासी कामगारों को बैठाया गया। एक बस में अधिकतम 25 से 28 यात्रियों को बैठाया गया। बस में भी इनको पानी के साथ भोजन का पैकेट दिया गया है। मास्क के साथ ही यात्रियों को रवाना किया गया। इन सभी ने यूपी सरकार का धन्यवाद अदा किया।

इनमें से अधिकांश ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हमारी खबर न लेते तो हम लोग को कोई पूछने वाला नहीं था। इनमें से कोई मुंबई में मिठाई की दुकान में काम करता है तो कोई मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा था।

सफर के दौरान ट्रेन में चल रहे रेलवे स्टाफ बीच-बीच में सभी को शारीरिक दूरी बनाने के निर्देश भी देते रहे। श्रमिकों ने बताया नासिक में ट्रेन में चढ़ते वक्त रेलवे प्रशासन ने सभी की मेडिकल जांच कराई।

सिद्घार्थ नगर रहने वाले राजेश महाराष्ट्र में एक आटो पार्ट्स की दुकान पर काम कर अपनी रोजी कमा रहे थे लेकिन कोरोना संकट के चलते मालिक ने पहले तो कुछ पैसे दिए लेकिन बाद में साफ मना कर दिया। जब घर जाने के लिए निकले तो पुलिस ने रोक कर हमें शेल्टर होम भेज दिया। इसके बाद जब केन्द्र सरकार ने हम लोगों के लिए यह ट्रेन चलाई तो जान में जान आयी उसके लिए उन्हें दिल से धन्यवाद। अभी महामारी तक सिर्फ गांव में रहना है। उसके बाद देखेंगे क्या होगा।

जालौन के राकेश ने बताया कि वह मिठाई की दुकान में काम करते थे। लॉकडाउन हुआ घर आने का प्रयास किया लेकिन पुलिस उठाकर एक बड़े हाल में रख दिया। वह पर बहुत परेषानी हुई। लेकिन यूपी सरकार ने हमारी सुध ली। हमें नासिक से वापस आने पर भुसावल और इटारसी में खाना भी मिला है। अब घर जाने में अच्छा लग रहा है। मुख्यमंत्री ने अच्छा काम किया है।

ज्ञात हो कि करीब 42 दिन बाद चारबाग स्टेशन पर कोई यात्री ट्रेन आई है। आखिरी बार 22 मार्च को यहां ट्रेन आई थी। वहीं लखनऊ के ऐशबाग स्टेशन से 23 मार्च को सुबह आखिरी ट्रेन गुजरी थी। सोनभद्र, श्रावस्ती, बांदा, गोंडा तथा सिद्घार्थनगर के श्रमिकों ने बताया की नासिक के जिस हस्टल में उन्हें रोका गया था वहां खाने पीने की कोई दिक्कत नहीं थी।

–आईएएनएस

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