पेमा खाण्डू, हरदीप सिंह पुरी, सोनल मानसिंह, योग गुरु बाबा रामदेव, बिबेक देबरॉय और डॉ. ए. सूर्य प्रकाश ने भी समर्थन में किया रीट्वीट्
नई दिल्ली: देशभर में जहाँ लॉक डाउन 4.0 का पालन घर में बैठ कर किया गया तो वहीं लोगों ने समसामयिक कोरोना गतिविधियों पर जनजागृति हेतु एक अनूठी संस्कृत प्रतियोगिता में भी भाग लिया । इस अनूठी ‘कोरोना अवेयरनेस क्विज’ को आयोजित करने का विचार संस्कृत में साहित्य अकादेमी पुरस्कृत युवराज भट्टराई और उनके मित्र जीवन जोशी को आया । युवराज भट्टराई देश के जाने माने संस्कृत युवा कवि हैं और उनकी दोनों संस्कृत कविता संग्रह ‘वाग्विलासिनी’ और ‘मनोऽनुरञ्जिनी’ को बहुत प्रसिद्धि मिली है । युवराज भट्टराई ने बताया कि ‘प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और राज्य सरकारों के आग्रह पर सम्पूर्ण देश पिछले 68 दिनों से लॉक-डाउन का अनुपालन कर रहा है । इसलिए घर पर रहकर ही संस्कृतभाषा के निरन्तर प्रसार के लिए कुछ क्रियात्मक कार्य करने का हम दोनों का मन था ।’
संस्कृत पत्रकारिता-योग-आयुर्वेद-वास्तुशास्त्र तथा प्राच्य विद्याओं के संवर्धन और संरक्षण में संलग्न ‘स्वस्तिवाचनम्’ नामक इस संस्था के उपाध्यक्ष युवराज भट्टराई ने आगे बताया कि “कोरोना वैश्विक महामारी का प्रकोप जिस तरह बढ़ रहा है उसमें प्रत्येक व्यक्ति को आयुर्वेद और योग को अपना कर नियमित दिनचर्या का हिस्सा अवश्य बनाना चाहिए । संस्कृत भाषा के सही ज्ञान से ही आयुर्वेद और योग के महत्व को समझा जा सकता है ।” ‘स्वस्तिवाचनम्’ संस्था के सहसचिव जीवन जोशी ने कहा ”इस प्रकार की ‘COVID-19 संस्कृत प्रश्नोत्तरी (क्विज)’ दुनिया में किसी संस्था द्वारा आयोजित नहीं की गई है । उन्होंने आगे बताया कि इस संस्कृत प्रतियोगिता (क्विज) को चार दिनों के लिए 28 मई से 31 मई तक ऑनलाइन आयोजित किया गया था । जिसमें सम्पूर्ण देश के 1288 प्रतिभागियों ने भाग लिया । इस प्रतियोगिता की विशेष बात यह थी कि जिस प्रकार 14 दिनों का क्वारंटाइन ज़रूरी होता है उसी प्रकार इसमें प्रश्नों की संख्या भी 14 निश्चित की गई थी । सभी प्रश्न और उनके वैकल्पिक उत्तर भी संस्कृत में थे, जिन्हें देश भर के लोगों ने दिलचस्पी के साथ खेला ।”
जीवन जोशी ने बताया कि इस ‘कोरोना अवेरनेस क्विज’ को ट्विटर पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमन्त्री पेमा खाण्डू, केन्द्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने रीट्वीट भी किया । यही नहीं धारा प्रवाह संस्कृत बोलने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय में राज्य मंत्री; और मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी सहित प्रसिद्ध नृत्यांगना और राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह और योग गुरु बाबा रामदेव ने भी इस ‘कोरोना अवेरनेस क्विज’ की जानकारी को रीट्वीट् किया । जीवन जोशी ने आगे बताया कि यह अपने आप में संस्कृत के माध्यम से जन जागरण करने की प्रथम पहल थी जिसकी जानकारी को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय और नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय के उपाध्यक्ष डॉ. ए. सूर्य प्रकाश ने भी रीट्वीट् किया ।
यदि आंकड़ों की बात करें तो देश भर से 1288 लोगों में से इस कोरोना अवरेनेस संस्कृत प्रतियोगिता (क्विज) में भाग लिया । जिसमें 12.5 % फैकल्टी मेंबर्स ने, 20.6 % रिसर्च स्कॉलर ने, 25.3 % पोस्ट ग्रेजुएट ने, 13.4 % अंडर ग्रेजुएट ने, 12.8 % स्कूली छात्रों ने तथा 15.4 % अन्य लोगों ने भाग लिया । कोरोना पर जन जागृति प्रसारित करने वाली दुनिया की पहली संस्कृत प्रतियोगिता को 81.2% लोगों ने इसे सर्वोत्तम, रुचिकर और ज्ञानवर्धक बताया । जीवन जोशी ने आगे कहा कि ‘जब हमने लोगों से यह पूछा कि भविष्य में आप संस्कृत पत्रकारिता, योगशास्त्र, भारतीय दर्शन, भारतीय सङ्गीतशास्त्र, रामायण और महाभारत इन विषयों में से किस विषय पर अगली प्रतियोगिता में भाग लेना चाहेंगे तो 36.9 % लोगों ने ‘संस्कृत पत्रकारिता’ विषयक प्रश्नोत्तरी (क्विज) प्रतियोगिता का चयन किया है ।
‘स्वस्तिवाचनम्’ संस्था और ‘वाग्योग चेतना पीठम्’ के अध्यक्ष प्रो. भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी ‘वागीश शास्त्री’ ने कहा कि ‘आज दुनिया के अग्रणी देशों में भारत देश के यशस्वी प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना के विरुद्ध जो लड़ाई लड़ी जा रही है उसमें हम सभी ज़रूर सफल होंगे । प्रधानमन्त्री ने 130 करोड़ देशवासियों को सेवा भाव की सामूहिक शक्ति दिखाने का, आत्मनिर्भर रहने का, उत्साहवान् रहने का जो मन्त्र दिया है, वह सब वेदों और उपनिषदों का सार है । क्यूंकि प्रधानमंत्री संस्कृत में निहित दिव्यता और भव्यता को अनुभव करते है इसी कारण प्रधानमंत्री ने संस्कृत में लिखे गए योग और आयुर्वेद को अंतररष्ट्रीय स्तर पर एक मज़बूत पहचान दिलाई है ।’ वागीश शास्त्री ने आगे कहा कि ‘इस समय सभी लोगों को लॉक डाउन 5.0 का पालन अधिक सतर्कता पूर्वक करने की आवश्यकता है । इस अवधि में सभी को घर पर ही रहकर परिवार के लोगों साथ ऑनलाइन माध्यम से संस्कृत भाषा को सीखने में दिलचस्पी लेनी चाहिए ।’
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