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Narendra Singh Tomar

सरकार नए कृषि कानूनों पर 18 महीने रोक लगाने को तैयार, 11वीं वार्ता का इंतजार

नई दिल्ली| नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन की राह पकड़े किसानों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच बुधवार को 10वें दौर की वार्ता प्रगति के साथ समाप्त हुई। किसान आंदोलन समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों के अमल पर 18 महीने तक रोक लगाने को तैयार हो गई। हालांकि, इस मसले पर अंतिम नतीजों के लिए अगली बैठक का इंतजार करना होगा, क्योंकि किसान यूनियनों ने इस प्रस्ताव पर अपना निर्णय बताने के लिए समय मांगा है। किसान यूनियनों के 10वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “सरकार एक से डेढ़ साल तक नए कानून के क्रियान्वयन को स्थगित करने के लिए सहमत है। इस दौरान किसान और सरकार के प्रतिनिधि मिलकर समस्याओं का हल खोजें और जो समाधान हो उसको आगे बढ़ाया जाए।”

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ अल्प समय के लिए नए कृषि कानून के कार्यान्वयन को स्थगित कर दिया है, लेकिन कानून पर विचार करने और आंदोलन से जुड़े पहलुओं पर विचार करने के लिए ज्यादा वक्त की आवश्यकता होगी। इसलिए सरकार एक से डेढ़ साल तक कानून के अमल पर रोक लगाने को तैयार है।

किसान प्रतिनिधियों के साथ बैठक में कृषि मंत्री तोमर के अलावा उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद थे।

मंत्री तोमर ने बैठक के आरंभ में सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी के 354वें प्रकाश पर्व पर सभी को बधाई दी। उन्होंने किसान संगठनों को आंदोलन के दौरान अनुशासन बनाए रखने के लिए धन्यवाद दिया और आंदोलन समाप्त करने का फिर आग्रह किया।

सरकार ने कहा कि अब तक कृषि सुधार से संबंधित तीनों कानूनों तथा एमएसपी के सारे आयामों पर बिंदुवार सकारात्मक चर्चा नहीं हुई है। सरकार ने यह भी कहा कि हमें किसान आंदोलन को संवेदनशीलता से देखना चाहिए तथा किसानों व देशहित में समग्रता की ²ष्टि से उसे समाप्त करने के लिए ठोस प्रयास करना चाहिए।

तोमर ने कहा, “यदि संगठनों को इन कानूनों पर एतराज है या आप कुछ सुझाव देना चाहते हैं तो हम उन बिंदुओं पर आपसे चर्चा करने के लिए सदैव तैयार हैं। कृषि मंत्री ने आग्रह करते हुए कहा कि कानूनों को रिपील करने के अलावा इन प्रावधानों पर बिंदुवार चर्चा करके समाधान किया जा सकता है। पिछली बैठकों में अन्य विकल्पों पर चर्चा न होने की वजह से कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल पाया था, हम चर्चा को सार्थक बनाने का आग्रह करते हैं। प्रारंभ से ही सरकार विकल्पों के माध्यम से किसान प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करने के लिए खुले मन से प्रयास कर रही है। सरकार कृषि क्षेत्र को उन्नत और किसानों को समृद्ध बनाने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।”

किसानों की जमीन हड़पी जाने संबंधी भ्रांति दूर करते हुए तोमर ने साफ-तौर पर कहा कि इन कानूनों के रहते कोई भी व्यक्ति देश में किसानों की जमीन हड़पने की ताकत नहीं रखता। “हम खेती को आगे बढ़ाने और किसानों को समृद्ध बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ये कानून किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे, जिससे किसानों की दशा-दिशा बदलेगी और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा।”

श्री गुरु गोविद सिंह जी के प्रकाश पर्व के पावन अवसर पर, कड़कड़ाती सर्दी में चल रहे किसान आंदोलन की समाप्ति को ध्यान में रखते हुए, सरकार की तरफ से यह प्रस्ताव दिया गया कि कृषि सुधार कानूनों के क्रियान्वयन को एक से डेढ़ वर्ष तक स्थगित किया जा सकता है। इस दौरान किसान संगठन और सरकार के प्रतिनिधि किसान आंदोलन के मुद्दों पर विस्तार से विचार-विमर्श करके उचित समाधान पर पहुंच सकते हैं।

उन्होंने बताया कि किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों ने कहा है कि “वे सरकार के प्रस्ताव पर 21 जनवरी को विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे और 22 जनवरी को दोपहर 12 बजे विज्ञान भवन में होने वाली बैठक में सरकार को अपना फैसला बताएंगे। आज की वार्ता सौहार्दपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुई।”

उधर, किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक के बाद एक बयान में कहा कि आज सरकार के साथ बैठक में अहम बातचीत हुई। सरकार ने किसानों के समक्ष एक प्रस्ताव रखा कि एक साल या ज्यादा समय के लिए कृषि कानूनों को सस्पेंड कर दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दे दिया जाएगा। किसानों ने काूननों को निरस्त करने की मांग पर जोर दिया और अगली बैठक तक विचार-विमर्श कर निर्णय लेने की बात कही। एमएसपी के मुद्दे पर सरकार ने कमेटी की पेशकश की लेकिन किसानों ने इसे अस्वीकार किया।

–आईएएनएस

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