नई दिल्ली:कैमिस्ट द्वारा दवाइयों में कालाबाजारी करने के विरोध में पूरे देश में आवाज उठनी शुरू हो गई है नेशनल अकाली दल के अध्यक्ष परमजीत सिंह पम्मा ने सरकार से मांग की ऐसे केमिस्ट्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और साथ ही एथिकल और जेनरिक दवा की अलग से प्रतीक चिन्ह लगाने की मांग की जिससे आम लोगों को अलग से पहचान हो सके क्योंकि दोनों दवाइयों के दामों में काफी अंतर है
परमजीत सिंह पम्मा ने कहा कई बार केमिस्ट के पास दवाई लेने जाओ तो वह पर्ची देख कर मना करके कह देता है कि सेम सॉल्ट की दूसरी कंपनी की दवाई है क्योंकि उसमें उसे मार्जन ज्यादा है मगर आम आदमी को इस बारे में जानकारी नहीं होती कहीं दवाई कंपनियों द्वारा दवाइयों पर कई गुना दाम ऊंचे लिखे होने के कारण कुछ केमिस्ट इसका फायदा उठा कर ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं वे लगभग 10%, 15% का डिस्काउंट दे कर एहसान जताता है जबकि उसमें 70% से 80% का अंतर है सरकार होलसेल वा रिटेल की दवाइयों के MRP अंतर फिक्स करें
परमजीत सिंह पम्मा ने कहा जिस प्रकार दवाई कंपनियों वा केमिस्ट के बीच में आपसी तालमेल होने के कारण कालाबाजारी हो रही थी
उन्होंने लुधियाना स्थित गुरु नानक मोदीखाना केमिस्ट के मालिक द्वारा लोगों को जागरूक करने के प्रयास पर की सराहना करते हुए कहा की उक्त केमिस्ट में जिस प्रकार दवाओं के व्यापार में कालाबाजारी और दवाओं के रेट में भारी अंतर का खुलासा किया है उसे सरकार को सबक लेकर सभी दवाओं के एमआरपी और रिटेल रेट को सीमित करने की मांग की है उन्होंने कहा ₹14 के पत्ते का एमआरपी रेट 111 रुपए लिखा गया है इसी प्रकार एक इंजेक्शन की कीमत एमआरपी 12 सो रुपए है जबकि वही इंजेक्शन केमिस्ट को करीब ₹400 में मिल रहा है साफ है दवा कंपनियां आम लोगों को लूट रही है उसका फायदा केमिस्ट उठा रहे हैं सरकार को चाहिए इन कंपनियों पर लगाम लगाए इस प्रकार दवाओं के एमआरपी 200 से 400 प्रतिशत ज्यादा है यह लोगों से सरासर लूट है
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