नई दिल्ली:राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने एक वेबिनार मे कहा कि सरोकार का दायरा सिकुड़ना नहीं चाहिए . भारतीय राजनीति का गौरवशाली अध्याय रहा है : जब शीर्ष के राजनेताओं ने गाँवो को कर्मभूमि बनाकर पीढ़ियों केलिए प्रेरक तत्त्व बन कर हमारे बीच हैं . गांधी जी ने १९३३ में अस्पृश्यता निवारण के लिए यात्रा शुरू की जो ९ महीने चला और समाज से ८ लाख इकठ्ठा किया जिसमें विदर्भ के प्रभावी और संपन्न नेता श्री खपार्डे की पत्नी का कई तोला सोना से लेकर एक भिखारी का एक पैसा भी शामिल था। गांधी जी ने एक पैसे की नीलामी कर ११६ रुपया चंदे में जोड़ा था । जयप्रकाश जी सामाजिक रचनात्मक कार्यों में इतने लिप्त थे कि १९५२ में तत्कालीन प्र मं जवाहर लाल नेहरू के मिलने के आमंत्रण को आठ महीने टाल गए ।
बाबा साहब आम्बेडकर के पास अपने पुत्र राजरतन के अंत्येष्टि केलिए पैसा भी नहीं था तो लोकमान्य तिलक ब्रिटिश साम्राज्य और कोल्हापुर राज्य के भारत विरोधी समझौते पर अपने लोकप्रिय मराठी अख़बार केसरी के लिए अग्र लेख लिखाने में इतने मसगूल थे कि अपने ज्येष्ठ पुत्र विश्वनाथ के निधन का समाचार भी कानों के अंदर नहीं पहुँच पाया । आज इन बातों का उल्लेख खगड़िया ज़िला भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित सेवा ही संगठन कार्यक्रम में मेरे उद्बोधन में हुआ ।राजनीति जब समाज के नियंत्रण में होती है तभी रचनात्मक रहती है । सेवा कार्य राजनीति को स्वस्थ करने का अनेक उपायों में एक सूक्ष्म परंतु कारगर उपाय है
उन्होनें इस अवसर पर खगड़िया ज़िला के अध्यक्ष श्री सुनील सिंह जी और सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया ।
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