नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को स्वयंभू संत आसाराम की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने उन्हें यह कहते हुए चिकित्सकीय आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया कि उनकी हालत इतनी भी खराब नहीं है कि उनका जोधपुर में इलाज न किया जा सके।
आसाराम पर कथित तौर पर अपने ही आश्रम की एक नाबालिग से यौन दुष्कर्म का आरोप लगा है और वह इस मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर और न्यायमूर्ति एन.वी. रमन ने एम्स के मेडिकल बोर्ड की एक रिपोर्ट के आधार पर आसाराम की जमानत याचिका खारिज कर दी।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के आठ वरिष्ठ डॉक्टरों के बोर्ड ने कहा कि उनकी प्रोस्टेट की बीमारी का निदान पूरा नहीं हो पाया है क्योंकि उन्होंने इसके लिए जरूरी टेस्ट कराने से इनकार कर दिया।
अदालत ने आसाराम पर झूठी मेडिकल रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है, जिसमें कथित तौर पर जोधपुर जेल के अधीक्षक ने भी उनकी तबीयत खराब होने के दावे का समर्थन किया था।
अदालत ने आसाराम की बिना शर्त माफी को अस्वीकार करते हुए उनके खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
(आईएएनएस)
और भी हैं
महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा बना आकर्षण का केंद्र
केंद्रीय कर्मचारी अब तेजस, वंदे भारत और हमसफर जैसी ट्रेनों में भी कर पाएंगे एलटीसी का इस्तेमाल
मप्र की शहडोल रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में आए 32 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव