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Under-construction skyscrapers. (File Photo: IANS)

सस्ता घर दिलाने के लिए बड़े मुद्दों पर गौर करने की जरूरत!

 

नई दिल्ली: सरकार ने आम बजट 2018-19 में भी लोगों को सस्ता घर दिलाने की दिशा में अपनी कोशिश जारी रखी है। तकरीबन सभी हाउसिंग स्कीम के तहत कम कीमतों पर घर दिलाने की बात की गई है, जोकि उम्मीदों के अनुरूप है।

पूर्व बजट में इस खंड को बुनियादी ढांचा का दर्जा देने से लेकर कारपेट एरिया को दोबारा परिभाषित करते हुए प्रधानमंत्री आवाज योजना के तहत क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी (सीएलएसएस) में बढ़ोतरी करके लाभार्थियों की तादाद में इजाफा करने तक, सरकार इस मामले में 2017 से ही प्रयासरत है। अब 2018-19 के बजट में नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएसबी) के अंतर्गत एक कोष का निर्माण करने से सस्ता आवास योजना को प्रोत्साहन मिला है।

कोष में ऋण मुहैया करवाने वाले क्षेत्र को वरीयता दी जाएगी और यह भारत सरकार द्वारा अधिकृत पूर्ण सेवा बांड होगा। अब सरकार ने मांग में इजाफा करने के लिए सक्षम लोगों में जोरदार अभिवृद्धि की है और अनुकूल वातावरण तैयार किया है इसलिए आशा है कि आने वाले दिनों में सस्ता घर के सेगमेंट में नई पेशकश देखने को मिल सकती है।

सरकार शहरी क्षेत्रों में भी आवास की समस्याओं का समाधान तलाश रही है। शहरी क्षेत्रों में 37 लाख घर बनाने से शहरी आवास की समस्या का हल होगा। वहीं देशभर में 99 स्मार्ट सिटी को 2.04 लाख करोड़ की वित्तीय मदद देने से मौजूदा शहरी केंद्रों पर दबाव कम होगा।

वित्तमंत्री के प्रस्ताव में कहा गया है जहां पांच फीसदी से कम सर्कल रेट है वहां अचल परिसंपत्ति के हस्तांरण के मामले में कोई समायोजन नहीं होगा। मतलब, इसका असर सिर्फ उन जगहों पर होगा जहां सर्कल रेट मार्केट रेट से ज्यादा है।

पिछले एक साल में सरकार ने रियल स्टेट कारोबार में काफी सख्ती बरती है जिसमें नोटबंदी से लेकर रियल स्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी (रेरा) की सख्ती शामिल है। अब बजट में सब रही सही बातें पूरी हो गई, लेकिन रियल स्टेट को मजबूती प्रदान करने वाले कुछ मसले अभी अनसुलझे हैं।

उम्मीद है कि सरकार नये घरों पर जीएसटी के मसले पर ध्यान देगी, जिससे आज घरों की कीमत ज्यादा हो रही है। इसके अलावा सरकार हस्तांतरण लागत कम करने पर विचार करेगी, खासतौर से स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क में।

सरकार से यह भी उम्मीद की जाती है कि परिसंपत्तियों की रजिस्ट्री को डिजिटाइज करके, भूमि व परिसंपत्ति के स्वामित्व की बात सुनिश्चित कर और आरईआईटी व अन्य साधनों से रियल स्टेट में तरलता बढ़ाकर सक्षम लेवाल पैदा कर सकती है। विवादों का जल्द निपटारा करने व उपभोक्ताओं में विश्वास पैदा करने के लिए रेरा को मजबूत बनाने की भी जरूरत है।

–आईएएनएस

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