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सिविल डिफेंस के चालान गैरकानूनी हैं तो पुलिस गिरफ्तार क्यों नहीं करती

इंद्र वशिष्ठ
मास्क और दो गज दूरी का पालन न करने वालों
के चालान काट रहे दिल्ली सिविल डिफेंस के वालंटियर के पास अभियोजन का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। दिल्ली पुलिस ने लोगों को सतर्क करने के लिए 11 फरवरी 2021 की सुबह यह जानकारी ट्विटर पर दी। लेकिन इसके बावजूद सिविल डिफेंस वालों द्वारा चालान काटने का सिलसिला लगातार जारी रहने से पुलिस की भूमिका पर ही सवालिया निशान लग जाता है।
एक ओर पुलिस कहती है कि सिविल डिफेंस वालों को चालान काटने का अधिकार नहीं है। तो फिर पुलिस गैरकानूनी तरीक़े से चालान कर रहे सिविल डिफेंस वालों को रोकती और गिरफ्तार क्यों नहीं करती है ?
पुलिस के बैरीकेड का भी इस्तेमाल कर पुलिस की नाक के नीचे सिविल डिफेंस वाले लोगों के चालान करते हैंं और पुलिस मूक दर्शक बनी रहती है।
पुलिस ने सिर्फ़ लोगों को सूचना देकर अपने कर्तव्य पालन से पल्ला झाड़ लिया है। जबकि पुलिस का काम गैरकानूनी कार्य करने वालों को गिरफ्तार करना होता है। दूसरी ओर पुलिस की बात पर भरोसा करके लोग सिविल डिफेंस वालों द्वारा चालान काटने पर विरोध प्रकट करते है।
इस बात को लेकर लोगों और सिविल डिफेंस वालों में बहसबाजी और मारपीट तक की नौबत आ जाती है। 6 अप्रैल को ही हौजखास थाना इलाके में आईआईटी गेट चौराहे पर भी ऐसी एक घटना हुई जिसमें सिविल डिफेंस वालों ने एक युवक की पिटाई कर दी जिस पर गुस्साए लोगों ने सिविल डिफेंस वालों को पीटा।
पुलिस ने 11 फरवरी को कहा कि उसे ज्ञात हुआ है कि दिल्ली सिविल डिफेंस वालंटियर्स कोविड नियमों की अवहेलना के चालान कर रहे हैं। इनके पास अभियोजन का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। अक्सर इन्हें दिल्ली पुलिस कर्मी समझ लिया जाता है और इनके कुछ कुकृत्य दिल्ली पुलिस के समझ लिए जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन वालंटियर्स को पुलिस से मिलती जुलती वर्दी मिलती है। ऐसे मामलों का संज्ञान लेते हुए कुछ एफआईआर की जा चुकी है और अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है।
दिल्ली की जनता से अपील है कि ऐसे किसी भी चालान को स्वीकार करने से पहले चालानकर्ता की सही पहचान अवश्य कर लें।
दिल्ली पुलिस द्वारा 11फरवरी को यह जानकारी देने से पुलिस की भूमिका पर ही सवालिया निशान लग गया है। सबसे बड़ा सवाल यह  कि सिविल डिफेंस के वालंटियर्स को चालान काटने / अभियोजन का कानूनी अधिकार नहीं है यह जानकारी पुलिस ने लोगों को सतर्क करने के लिए पहले क्यों नहीं दी?
सिविल डिफेंस के वालंटियर्स को गैरकानूनी तरीके से चालान काटने से पुलिस ने अब तक  रोका क्यों नहीं। शुरुआत में ही उनके खिलाफ आपराधिक मामले क्यों नहीं दर्ज किए गए।
क्या पुलिस अफसर इतने अनाडी/नाकाबिल हैं कि अब जाकर उनके ज्ञान चक्षु खुले कि सिविल डिफेंस वालंटियर्स को चालान काटने का कानूनी अधिकार नहीं है।
दिल्ली सरकार ने सिविल डिफेंस के वालंटियर्स को चालान काटने के कार्य में लगाने की सार्वजनिक घोषणा की थी। वालंटियर्स अकेले और एसडीएम के साथ टीम के रुप में भी  चालान काटते  हैंं।
दिल्ली पुलिस ने जो कहा है उससे तो यहीं लगता है कि क्या दिल्ली  सरकार और एसडीएम को भी कानून की जानकारी नहीं है।
6 अप्रैल 2021को सिविल डिफेंस के कर्मचारी रेड लाइट, आईआईटी गेट, हौज खास में मास्क नहीं पहनने के लिए चालान  कर रहे थे।
इस प्रक्रिया में उन्होंने अचानक एक कार को रोका जब ग्रीन सिग्नल था जिसके कारण गीतेश डागर नाम के  कार चालक ने अचानक ब्रेक लगाए और एक अन्य कार उस कार से टकरा गई। गीतेश डागर कार से बाहर आए और सिविल डिफेंस कर्मचारी के साथ कुछ बहस हुई।
उसके बाद, डीसीडी कर्मचारी ने बेल्ट से उस पर हमला कर दिया। इस बीच, अन्य राहगीर इकट्ठा हुए और डीसीडी कर्मचारियों  के साथ मारपीट की।
पुलिस ने इस मामले में दोनों पक्षों की शिकायत पर मामला दर्ज किया है।
सिविल डिफेंस वालंटियर्स द्वारा चालान काटने को लेकर आम आदमी ही नहीं पुलिस कर्मी के साथ भी मारपीट किए जाने के मामले सामने आए हैं।
नारायण थाना इलाके में पिछले साल अक्टूबर में मास्क ठीक से न लगाने पर कनाट प्लेस थाने के हवलदार नरेश के साथ मारपीट करने का मामला सामने आया था। पुलिस ने वालंटियर्स के खिलाफ उस समय सिर्फ मारपीट का मामला दर्ज किया था। चालान काटने का अधिकार अगर नहीं है तो पुलिस ने उस समय वालंटियर्स के खिलाफ इस सिलसिले में मामला क्यों नहीं दर्ज किया।
सिविल डिफेंस के तीन वालंटियर को नई दिल्ली जिला पुलिस ने फर्जी चालान काटने के आरोप में जनवरी 2021 में गिरफ्तार किया था।
दिल्ली के चौराहों पर भी झुंड के रुप में मौजूद वालंटियर्स जमकर लोगों के चालान करते हैंं। चौराहे पर ही ट्रैफिक पुलिस के जवान भी होते है। क्या इन पुलिस वालों को नहीं पता कि उनकी नाक के नीचे लोगों के चालान काट रहे वालंटियर्स को चालान काटने का कानूनी अधिकार नहीं है।

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