नई दिल्ली | पूर्वी लद्दाख के चुशुल में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने और गतिरोध समाप्त करने के लिए सैन्य वार्ता जारी है। दोनों ही देश सीमा पर आगे के हिस्सों पर तैनात सैनिकों को पीछे हटाने को लेकर सैन्य वार्ता कर रहे हैं। दोनों देशों के सैनिकों को प्रतिकूल परिस्थितियों में तैनात रहना पड़ता है, जहां सर्दियों में तापमान शून्य से भी 20 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है।
सरकार के एक सूत्र ने कहा, “वार्ता के दौरान कोई रास्ता नहीं निकल सका है, क्योंकि चीन विवादित स्थिति से हटने के लिए तैयार नहीं है।”
दोनों देशों के बीच आठ कोर कमांडर स्तर की वार्ता शुक्रवार सुबह 9:30 बजे शुरू हुई और शाम सात बजे समाप्त हुई। यह पहली बार था कि लेफ्टिनेंट जनरल पी. जी. के. मेनन ने विवाद सुलझाने के लिए चल रही वार्ता में भारतीय सैन्य प्रतिनिधियों का नेतृत्व किया।
इससे पहले, उन्होंने दो ऐसे दौर की वार्ता में भाग लिया था, लेकिन प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया था, जिन्हें पिछले महीने भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में स्थानांतरित कर दिया गया है, जहां वह सेना के अधिकारियों की भावी पीढ़ियों को प्रशिक्षित करने के जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।
सूत्र ने कहा, “हमने चीन को दृढ़ता से कहा है कि सैनिकों को पीछे हटाने का काम सभी तनाव वाले बिंदुओं पर होगा, न कि चयनित स्थानों पर, जैसा कि वे चाहते हैं। हमारा रुख स्पष्ट है।”
चीन से बातचीत के जरिए समस्या हल करने के लिए वार्ता चल रही है और इस बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को दावा किया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और चीन के साथ युद्ध से इनकार नहीं किया जा सकता है।
रावत ने कहा, कुल मिलाकर सुरक्षा के लिहाज से सीमा पर टकराव, उल्लंघन, अकारण सामरिक सैन्य कार्रवाई-बड़े संघर्ष का संकेत है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
शुक्रवार को चुशूल में भारत और चीन के बीच चल रही सैन्य वार्ता के बीच उनका यह बयान आया। वह दिल्ली में नेशनल डिफेंस कॉलेज द्वारा आयोजित डायमंड जुबली वेबिनार, 2020 में बोल रहे थे।
हालांकि, रावत ने यह भी कहा कि भारत का रुख स्पष्ट है और वह वास्तविक नियंत्रण रेखा में किसी भी बदलाव को स्वीकार नहीं करेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को लद्दाख में अपने दुस्साहस के लिए अनिश्चित परिणाम का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि भारतीय बलों ने उनके हर कदम का करारा जवाब दिया है।
दोनों देशों के शीर्ष सैन्य कमांडरों ने छह महीने से चल रहे गतिरोध को सुलझाने के लिए सात बार बैठक की है। आखिरी बैठक 12 अक्टूबर को हुई और उसमें भी कोई समाधान नहीं निकल सका।
अब तक दोनों देश सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से संवाद और संचार बनाए रखने पर सहमत हुए हैं।
–आईएएनएस
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