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Srinagar: Security personnel stand guard as security is beefed up following the Supreme Court's verdict on the batch of petitions challenging the abrogation of Article 370 in Jammu and Kashmir, at Lal Chowk in Srinagar on Monday, December 11, 2023. (Photo: IANS/Umar Qadir)

सीवोटर सर्वे : सुप्रीम कोर्ट के ‘अनुच्छेद-370’ पर फैसले से कश्मीर घाटी खुश नहीं

नई दिल्ली, 12 दिसंबर । जम्मू-कश्मीर में सीवोटर के एक विशेष सर्वे के नतीजों से पता चलता है कि कश्मीर घाटी में अधिकांश उत्तरदाता ‘अनुच्छेद-370’ को निरस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं। ‘अनुच्छेद-370’ से पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेषाधिकार प्राप्त थे।

जम्मू क्षेत्र में उत्तरदाताओं की प्रतिक्रिया बिल्कुल विपरीत है। घाटी में 51 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं।

सर्वे में नमूना आकार 4,056 था।

जम्मू क्षेत्र में, लगभग 56 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे शीर्ष अदालत के फैसले से सहमत हैं। सर्वे में अन्य सवालों के जवाबों में भी अंतर देखा जा सकता है।

घाटी में लगभग 52 प्रतिशत उत्तरदाताओं को लगता है कि वर्तमान शासन उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है, जम्मू क्षेत्र में हर पांच में से तीन उत्तरदाताओं को दूसरी तरह से लगता है।

इसी तरह, घाटी में लगभग दो-तिहाई उत्तरदाताओं का कहना है कि अन्य राज्यों के लोगों को जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीदने और बसने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, लगभग 50 प्रतिशत का मानना है कि जम्मू क्षेत्र में भी ऐसा ही है।

सीवोटर सर्वे के नतीजे स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि घाटी में रहने वालों का दिल और दिमाग जीतना जारी है।

दरअसल, 1952 से, ‘अनुच्छेद-370’ और ‘अनुच्छेद-35’ जम्मू और कश्मीर में लागू थे, जिससे राज्य को एक विशिष्ट और विशेष पहचान के साथ-साथ यह चुनने की वास्तविक शक्तियां मिली कि भारतीय संसद से पारित कौन से कानून राज्य में लागू किए जाएंगे।

5 अगस्त, 2019 को, लोकसभा चुनाव में भारी जनादेश के तुरंत बाद, वर्तमान शासन ने संसद के दोनों सदनों में ‘अनुच्छेद-370’ को निरस्त करने वाला एक विधेयक पारित किया।

फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं, जिसे एक साथ जोड़ दिया गया। सोमवार को पांच जजों की बेंच ने ‘अनुच्छेद-370’ को निरस्त करने को बरकरार रखते हुए सर्वसम्मति से फैसला सुनाया।

–आईएएनएस

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