नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता सज्जन कुमार की तरफ से अंतरिम जमानत के लिए दाखिल एक याचिका पर सुनवाई से बुधवार को इंकार कर दिया। 1984 के सिख विरोधी दंगे में संलिप्तता के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे सज्जन कुमार ने मेडिकल आधार पर यह याचिका दायर की थी। प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की अध्यक्षता वाली पीठ ने कुमार की चिकित्सा रिपोर्ट को देखने के बाद कहा, “आपको किसी भी अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है।”
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कुमार को एम्स बोर्ड के सामने पेश होने का निर्देश दिया था, जिसे यह निर्धारित करना था कि क्या उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है या नहीं।
कुमार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने पीठ के समक्ष कहा कि उनके मुवक्किल 70 साल से अधिक उम्र के हैं और मधुमेह और अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं। सिंह ने कहा, “मेरे मुवक्किल को स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हैं..।”
सिंह ने कहा कि कोविड-19 संकट के कारण उन्हें एम्स के समक्ष फिर से पेश नहीं किया जा सका। सिंह ने कहा, “अगर मेरे मुवक्किल की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी उम्र की सजा स्वत: ही मौत की सजा में बदल जाएगी।”
इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “ऐसा मत कहो।” पीठ ने कहा कि यह मामले को लंबित रखने की प्रवृत्ति है, क्योंकि सात मार्च को एम्स की रिपोर्ट में कहा गया था कि “आपको अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है”।
सीबीआई की तरफ से पेश हुए महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा, “यह एक नरसंहार का मामला है ओर वह एक भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे।”
कुछ दंगा पीड़ितों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने भी कुमार की याचिका का विरोध किया।
कुमार और बलवान खोखर दंगा मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिसंबर 2018 में दोषी ठहराए जाने के बाद से तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। खोखर ने भी ने इस मामले में पैरोल की मांग की है।
–आईएएनएस
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