नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सीआरपीसी की धारा 176 (1ए) के कार्यान्वयन के लिए मानवाधिकार कार्यकर्ता सुहास चकमा की एक याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया। इस प्रावधान के अनुसार, पुलिस व न्यायिक हिरासत में मौत, लापता होने या कथित दुष्कर्म के मामलों में न्यायिक जांच करना अनिवार्य है।
दलील में कहा गया है कि हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत होना, उसका गायब होना या कथित दुष्कर्म के मामले में न्यायिक जांच को हासिल कर पाना वास्तव में एक कठिन कार्य है और इसके लिए एक लंबी राजनीतिक लड़ाई लड़नी पड़ती है जबकि कानून इस तरह के मामलों में अनिवार्य रूप से न्यायिक जांच का प्रावधान करता है।
अदालत के समक्ष चकमा ने गृह मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा प्रकाशित ‘क्राइम इन इंडिया’ वार्षिक रिपोर्ट का हवाला दिया। इसके अनुसार, 2005 से 2017 तक पुलिस हिरासत में 1,303 लोगों की मौत या गुमशुदगी दर्ज की गई, जिसमें 827 लोग अदालत द्वारा पुलिस हिरासत में नहीं भेजे गए थे और 476 लोगों को अदालतों द्वारा पुलिस रिमांड पर भेजा गया था।
–आईएएनएस
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