नई दिल्ली: भारत द्वारा स्थापित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के स्थापना सम्मेलन में नई दिल्ली में रविवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 10 बिंदु प्रस्तुत किए। सम्मेलन के पूर्ण सत्र में मोदी ने कहा कि प्रोद्यौगिकी, आर्थिक स्रोत, भंडारण प्रोद्यौगिकी, कर्मचारी निर्माण और नवोन्मेष के विकास और मौजूदगी के लिए पूरा पारितंत्र होना चाहिए।
उन्होंने कहा, “आगे के लिए हम सबको सोचना होगा और मेरे पास इसकी कार्य योजना के लिए 10 बिंदु हैं जिन्हें मैं आपको बताऊंगा।”
उन्होंने कहा, “हमें सबसे पहले सौर ऊर्जा की सस्ती और सरल उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। सभी ऊर्जाओं में सौर ऊर्जा का अनुपात बढ़ना चाहिए और नवोन्मेष को प्रेरित किया जाना चाहिए जिससे हमारी विभिन्न जरूरतें पूरी हो सकें।”
प्रधानमंत्री ने सौर परियोजनाओं के लिए रियायती वित्तपोषण को कम जोखिम पर करने का आवाह्न किया। उन्होंने कहा कि शीघ्र समाधान के लिए नियामक पहलुओं और मानकों का विकास होना चाहिए।
विकासशील देशों में बैंक योग्य सौर परियोजनाओं के लिए परामर्श समर्थन बढ़ाया जाना चाहिए।
मोदी ने कहा, “हमें सहभागिता और समग्रता बढ़ाने के लिए काम करना होगा। हमें स्थानीय परिस्थितियों और कारकों को ध्यान में रखते हुए उत्कृष्ट केंद्रों का जाल बिछाना होगा। हमें अपनी सौर ऊर्जा की नीतियों के विकास पर पूर्ण रूप से ध्यान देना होगा जिससे संयुक्त राष्ट्र के समग्र विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पा सकें।”
मोदी ने गुरुग्राम स्थित आईएसए सचिवालय को मजबूत और पेशेवर बनाने का आवाह्न किया।
साल 2015 में मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वां ओलाद ने आईएसए की शुरुआत की थी। आईएसए को सौर संसाधन सम्पन्न देशों को उनकी विशेष ऊर्जा जरूरतें बताने और सहयोग के लिए एक मंच के तौर पर स्थापित किया गया था।
आईएसए कर्क और मकर रेखा के ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्र में आने वाले सभी 121 देशों के लिए खुला है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “121 देशों में से 61 देशों ने गठबंधन अपना लिया है और 32 देशों ने ढांचागत समझौते को मंजूरी दे दी है। लेकिन इस गठबंधन में हमारे सबसे बड़े सहयोगी सूरज भगवान हैं जो प्रकाश देते हैं और हमारी समस्याओं के लिए समाधान प्रदान करते हैं।”
चार दिन की भारत यात्रा पर आए मैक्रों के साथ मोदी ने सम्मेलन की सह अध्यक्षता की।
उन्होंने कहा, “साल 2022 तक हम 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा का उत्पादन कर लेंगे जिसमें 100 गीगावाट सौर ऊर्जा होगी। सौर ऊर्जा स्थापित कर हम पहले ही 20 गीगावाट ऊर्जा का लक्ष्य प्राप्त कर चुके हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत ने आईएसए सचिवालय की स्थापना के लिए आईएसए कोष में 62 अरब डॉलर का सहयोग किया है।
उन्होंने बताया कि भारत मेंआईएसए के सदस्य राज्यों में 500 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
उन्होंने कहा, “15 विकासशील देशों में 27 अन्य सौर परियोजनाओं के लिए भारत ने 1.4 अरब डॉलर का सहयोग दिया है।”
उन्होंने कहा, “यह घोषणा करते हुए मुझे खुशी हो रही है कि सौर फासले को पूरा करने के लिए भारत सौर प्रोद्यौगिकी मिशन शुरू करेगा।”
–आईएएनएस
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