भोपाल | मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की पहचान गंगा जमुनी तहजीब के लिए है। यहां हिंदू मुस्लिम मिल-जुल कर रहते हैं और यह आज देखने को भी मिला जब एक हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिम युवकों ने कंधा दिया, क्योंकि मृतक महिला के परिवार में सिर्फ तीन ही सदस्य हैं। टीला जमालपुरा क्षेत्र की शोभाराम की बावड़ी बस्ती में रहने वाले मोहन नामदेव की पत्नी पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं। उनका हमीदिया अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनकी बीती रात मौत हो गई। इन दिनों लॉकडाउन चल रहा है और मोहन का कोई रिश्तेदार भोपाल नहीं आ पाया। मोहन और उसके दो बच्चे हैं, जबकि अर्थी को कंधे देने के लिए चार लोगों की जरूरत होती है।
मोहन नामदेव के घर के करीब रहने वाले शाहिद खान ने आईएएनएस को बताया है कि मोहन की आर्थिक हालत ठीक नहीं है और उन्हें लोगों के सहयोग की जरूरत थी। इस स्थिति में पड़ोस में रहने वाले सभी लोगों ने सहायता की और मुस्लिम युवकों ने मोहन की पत्नी की अर्थी को कंधा दिया। शमशान घाट तक ले गए, वहां अंतिम संस्कार में भी सभी ने सहयोग किया।
शाहिद का कहना है कि इंसानियत बड़ी चीज है, कोई धर्म एक दूसरे की मदद करने से नहीं रोकता। मोहन की पत्नी के निधन की खबर से हर कोई दुखी था और सब ने सहयोग किया। समाज में किस तरह की एकता है, यह तो नेताओं को देखना चाहिए। नेता तो सिर्फ समाज में बंटवारे की कोशिश करते हैं ताकि उन्हें वोट मिल जाए।
शाहिद का कहना है कि मोहन फुलकी बेचकर अपना परिवार चलाता है। लॉकडाउन के कारण उसका काम धंधा बंद है और खाने के लाले पड़े हुए हैं। इसलिए राज्य सरकार को मोहन के परिवार की आर्थिक मदद करना चाहिए। वर्तमान में मुहल्ले के लोग मोहन की मदद कर रहे हैं।
–आईएएनएस
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