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ग़ज़लों का एक खूबसूरत अहसास प्रदान करती है एलबम ‘देखो तो’…

 

एस.पी. चोपड़ा, नई दिल्ली: तेज रफ्तार ज़िंदगी की जद्दोजहद में तेजी से सब कुछ बदल रहा है। फैशन से लेकर जीवन-शैली, रहन-सहन, सोच, संस्कार, कला-संस्कृति, गीत-संगीत और आत्मीय मंथन जैसे सब बदल गया है। मॉडर्न दुनिया के बदले अहसास में मॉडर्न होने की चाह में हमने खुद को अलग ही रंगढंग में ढाल दिया है।

जहां कभी दिग्गज़ शायरों, ग़ज़लकारों और संवेदनशील कलाकारों का कला-कौशल, गीत-संगीत आत्मीय सुकून प्रदान करता था, सुखद अहसास देता था, वहीं आज के संगीत में वह मिठास, वह अपनापन खोया हुआ है, भाषा का महत्व और अर्थ ही बदल गया है। पश्चिमी सभ्यता, तेज-तर्रार व कान फोडू संगीत युवाओं की पहली पसन्द है।

ऐसे में उन्हें अपनी कला-संस्कृति से रूबरू कराने एवम् अमर संगीत रस से सराबोर कराने के उद्देश्य से गैर सरकारी संगठन साक्षी पिछले कई वर्षों से भाषा, लिट्रेचर, शेरो-शायरी व ग़ज़ल की विभिन्न गतिविधियों द्वारा जागरूकता फैलाने का प्रयास करता आया है, इसी क्रम में डॉ. मृदुला सतीश टंडन के नेतृत्व में इस बार साक्षी सियेट लाये है एक ऐसा गुलदस्ता जो न केवल आंखों को भायेगा बल्कि ज़िंदगी के विभिन्न अहसासों से रूबरू कराते हुए ग़ज़लों को संजीदा करने में भी अहम् भूमिका निभायेगा।

‘देखो तो’ शीर्षक से डॉ. मृदुला सतीश टंडन द्वारा निर्मित व प्रस्तुत इस एलबम की ग़ज़लों को लिखा है प्रख्यात गीतकार व शायर फरहत शहज़ाद ने और अपनी आवाज़ से इन ग़ज़लों को जीवंत किया है ग़ज़लकार शकील अहमद ने। आठ खुशनुमा ग़ज़लों के इस संग्रह को जारी करने हेतु रविवार की शाम साक्षी सियेट द्वारा लोधी रोड़ स्थित इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जहां विधिवत् रूप से एलबम का विमोचन किया गया और एक ग़ज़ल संध्या के द्वारा उपस्थित मेहमान फरहत शहज़ाद व शकील अहमद के कला-कौशल से रूबरू हुए। मौके पर सांसद व अभिनेता शत्रुघन सिन्हा भी उपस्थित रहे।

ग़ज़ल एलबम के विषय में बताते हुए डॉ. मृदुला टंडन ने कहा कि, “देखो तो“ सार्थक कविता और गायकी का एक ऐसा अद्भुत संयोजन है जो श्रोताओं के बीच ग़ज़ल शैली में बेंचमार्क को बेहतर बनाता है। “देखो तो“ शीर्षक गज़ल “ज़रा सा आप से बाहर निकल के देखो तो“ लिया गया है। फरहत शहजाद के गीतों में श्रोताओं को भावनात्मक शब्दों में मानव भावनाओं का जीवंत अहसास मिलता है, जो कि सभी आयु वर्ग के श्रोताओं के दिलों का छूती है।

उन्होंने बताया कि गज़ल गायक शकील अहमद की रचनाओं ने संगीत के साथ शब्दों को मिलाया और हमें गहरी अर्थपूर्ण भावनाओं और गुनगुना, अविस्मरणीय ग़ज़लों का एक गीतात्मक परिदृश्य प्रस्तुत किया है। हमें उम्मीद है कि हमारी विभिन्न गतिविधियों की तरह दर्शकों का साथ इस एलबम को भी मिलेगा और हम सार्थक संगीत व ग़ज़ल के जादुई अवतार से श्रोताओं पर गहरा असर छोड़ने में कामयाब होंगे।

एलबम में सभी ग़ज़लें विश्व प्रसिद्ध कवि फरहत शहजाद द्वारा लिखी गई हैं। इस युग के सभी मशहूर ग़ज़ल गायकों ने उनकी गज़लों को आवाज़ दी है शकील अहमद ने डॉ. मृदुला टंडन की प्रशंसा करते हुए उन्हें धन्यवाद किया और कहा कि यह उनके लिए खास अवसर है जहां वह ग़ज़ल कार्यक्रम के साथ-साथ एक ऐसी एलबम से जुड़े हैं जहां दिग्गज़ कलाकारों के लिए गीत लिख चुके फरहत शहजाद जैसे व्यक्तित्व की रचनाओं को उन्होंने अपनी आवाज़ से सजाया है। शकील ने कहा आप सभी के साथ अपने इस प्रयास से हम दिल को छूता अहसास देंगे जरूर आप ‘देखो तो..’।

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