नई दिल्ली: अरबपति समाजसेवी मनोज भार्गव ने मंगलवार को आम लोगों के जीवन को बदल देने वाले क्रांतिकारी आविष्कार पेश किए। भार्गव ने हाल में रिलीज अपनी डॉक्युमेंट्री फिल्म ‘बिलियन्स इन चेंज 2’ में इस उत्पादों पर विस्तार से चर्चा की है।
भार्गव द्वारा पेश पहला उत्पाद है-पोर्टेबल डिवाइस हंस पावरपैक। यह मूलभूत इस्तेमाल के लिए बिजली का उत्पादन करता है और उसका भंडारण भी करता है। भार्गव द्वारा पेश हंस सोलर ब्रीफकेस, इसल में एक पोर्टेबल सोलर पावर स्टेशन है।
भार्गव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “बिजली कई कार्यो को करने में प्रभावी ढंग से सक्षम बनाती है। यह शिक्षा, आजीविका, उद्यमिकता और संचार के क्षेत्र में सभी तरह के मौकों के दरवाजे खोलती है। हालांकि अब भी लगभग आधी दुनिया को केवल दिन में 2-3 घंटे ही बिजली मिलती है लेकिन अपने हंस सोलर ब्रीफकेस के माध्यम से मैं दुनिया को जगमग और उन्नत देखना चाहता हूं।”
300 वॉट के हंस पावरपैक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गहरी दिलचस्पी दिखाई। उत्तराखंड सरकार ने जरूरतमंद गांवों को मुफ्त और बिजली का स्थायी स्रोत उपलब्ध कराने के लिए 1,00,000 हंस पावरपैक हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई है।
भार्गव ने कहा, “हंस पावरपैक और हंस सोलर ब्रीफकेस के सम्मिश्रण से ग्रामीण क्षेत्र में स्थित घरों के मालिक अपनी बिजली संबंधी सभी जरूरतें पूरी कर सकते हैं और उनका कभी बिजली का बिल भी नहीं आएगा।’
इस अवसर पर पानी को फिल्टर करने वाली 2 रेनमेकर फिल्ट्रेशन यूनिट का भी प्रदर्शन किया गया था, जो खारे और भूरे पानी को पीने योग्य और कृषि कार्यों में इस्तेमाल किए जाने लायक बनाती है।
भार्गव ने कहा, “लोगों को शायद न महसूस होता है, लेकिन गंदा पानी दुनिया भर में बीमारी फैलाने और मौत का नंबर-1 कारण है। यह महामारी है। हमारा लक्ष्य लोगों को साफ पानी मुहैया कराना है, जिससे वह सेहतमंद बन सकें, ज्यादा उत्पादक और क्रियाशील बन सकें और बेहतरीन गुणवत्ता वाले जीवन का आनंद ले सकें। साफ पानी सेहतमंद बनाता है।”
रेनमेकर मशीन प्रयोग न किए जा सकने वाले पानी को इस्तेमाल लायक बनाकर प्रभावी ढंग से नए जल स्रोत का निर्माण करती है, जो कि भयानक सूखे की मार से प्रभावित क्षेत्रों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
भार्गव ने कहा, ”इस मशीन में कई सालों तक, संभवत: दशकों तक पानी के संकट को खत्म करने या दूर धकेलने की क्षमता है।”
भार्गव ने बताया कि उन्होंने भारत में सबसे पहला रेनमेकर मशीन बद्रीनाथ मंदिर ट्रस्ट को उपहार में दिया है।
सबसे अंत में, भार्गव ने शिवांश फर्टिलाइजर खाद के छिड़काव के तरीके का विस्तृत विवरण पेश किया, जिसमें लघु पैमाने पर खेती कर रहे भारतीय किसानों को रेनमेकर के इस्तेमाल के बाद हुए अनगिनत लाभों की खेत से निकली कहानियां भी शामिल थीं।
यूरिया के बिना लागत वाले विकल्प को बनाने के लिए उस तकनीक का प्रयोग किया गया है, जिससे खेत का कूड़ा करकट या बेकार बचे पदार्थों को पोषक तत्वों से समृद्ध उर्वरक में तब्दील किया जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि यह खाद सिर्फ 18 दिनों में तैयार होता है और इससे पूरे सीजन के लिए यूरिया या दूसरे खाद के विकल्प के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है।
भार्गव ने कहा, “एक फसल की बुआई के बाद खेतों में शिवांश फर्टिलाइजर छिड़कने से मृत हो गई मिट्टी में नई जान फूंकी जा सकती है। परिणाम आश्चर्यजनक और चौंकाने वाले हैं। किसान अब फसलों की ज्यादा पैदावार कर रहे हैं। वे कम कीटनाशकों और कम पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। किसानों के बच्चे ज्यादा स्वस्थ हो गए हैं क्योंकि उन्हें पोषक भोजन मिल रहा है। और इन सबसे बढ़कर यह है कि इससे किसान वास्तव में अच्छी कमाई कर रहे हैं।”
–आईएएनएस
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