✅ Janmat Samachar.com© provides latest news from India and the world. Get latest headlines from Viral,Entertainment, Khaas khabar, Fact Check, Entertainment.

पहचान के खातिर महिलाओं को हालात पक्ष में करने होंगे : सोना मोहपात्रा

नई दिल्ली : ‘रुपैया’ और ‘घर याद आता है मुझे’ जैसे गीतों से भारतीय संगीत उद्योग में अपनी अलग पहचान बनाने वाली गायिका सोना मोहपात्रा का मानना है कि पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को अवसर भले ही आसानी से न मिले, लेकिन वे अपनी प्रतिभा के बलबूते आगे बढ़ सकती हैं और अपना मुकाम बना सकती हैं।

उन्होंने कहा कि अपनी पहचान बनाने के लिए गायिकाओं को हालात अपने पक्ष में करने होंगे और ये मुकाम वे तभी हासिल कर सकती हैं।

सोना ने ‘अंबरसरिया’, ‘बहारा’, ‘जिया लागे ना’ जैसे गाने भी गाए हैं। जब आईएनएनएस ने उनसे पूछा कि क्या शोबिज की दुनिया में गायिकाओं के लिए अपनी पहचान बनानी मुश्किल है, तो उन्होंने कहा, “हां, यह मुश्किल है। यह चुनौती का एक बड़ा हिस्सा है, क्योंकि आपको आपकी प्रतिभा ही दूर तक ले जाती है। संगीत उद्योग में जगह बनाने के लिए दृढ़निश्चय और धैर्य की जरूरत होती है, क्योंकि महिलाओं को अवसर आसानी से नहीं मिलते। अपनी पहचान बनाने के लिए महिलाओं को अपनी कोशिशों से हालात अपने पक्ष में करने होंगे।”

सोना ने ईमेल साक्षात्कार में कहा, “मुख्यधारा में रिलीज हर 100 गीतों पर महिलाओं द्वारा गाए गीतों की संख्या महज 12 होती है। अब महिलाओं के सोलो गीत की संख्या में और कमी आई है, यह हाल उस देश में है, जहां मंगेशकर बहनों (लता और आशा) के गीतों के बगैर संगीत उद्योग अधूरा सा है। यह देश वही है और महिला कलाकारों को पुरुष कलाकारों की तरह ही प्यार करता है, लेकिन संगीत उद्योग कहीं न कहीं पिछड़ा है।”

गायिका ने कहा, “बड़े संगीत महोत्सव जैसे ‘एनएच7 विकेंडर’ महिलाओं के प्रति पूरी तरह से पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं और यहां तक कि आईआईटी जैसे संस्थान भी अपने कार्यक्रमों में गायिकाओं को ज्यादा नहीं बुलाते हैं। अवार्ड शो में भी कमोबेश यही स्थिति है। अपनी पहचान बनाने के बेहद कम मौके हैं। संगीत शोबिज से कहीं बढ़कर है और गायिका होने के अलावा भी मैं बहुत कुछ हूं।”

उन्होंने कहा, “मैं पढ़ाई में टॉपर रही हूं। मैंने बीटेक और एमबीए किया है। इस तरह की शैक्षिक पृष्ठभूमि से मुझे एक सफल प्रोडक्शन हाउस की स्थापना में मदद मिली। मैंने घर बैठकर प्रस्ताव मिलने का इंतजार नहीं किया, बल्कि 2006 में अपना सोलो अल्बम ‘सोना’ को म्यूजिक वीडियो ‘आजा वे’, ‘बोलो ना’, ‘अभी नहीं आना’ और ‘तेरा इश्क’ के साथ जारी किया, जिनके बारे में आज भी बातें होती हैं।”

उन्होंने कहा, “मुझे आमिर खान के सहयोग से दर्शकों तक पहुंच बनाने में मदद मिली। खासकर ‘सत्यमेव जयते’ शो में गाने का अवसर मिलने के लिए मैं आभारी हूं। इस साल ‘लाल परी मस्तानी’ के लांच के साथ संगीत से परे खुद को अभिव्यक्त करने जा रही हूं।”

यह पूछे जाने पर कि उन्हें किस बात ने गायिका बनने के लिए प्रेरित किया, तो सोना ने कहा, “बचपन से मेरा सपना दर्शकों से सीधा रूबरू होना और खचाखच भरे स्टेडियम में गाने का था। मैं हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, शास्त्रीय हिंदी फिल्म संगीत से प्रभावित रही हूं। बचपन से ही मैं ठुमरी, चैती, होरी और अन्य लोक गीतों को पसंद करती थी। गिरिजा देवी, शोभा गुर्टूजी, तीजन बाई, कुमार गंधर्वजी, नुसरत फतेह अली खान साहब, बालकृष्ण दासजी, फकीर पटनायक और परवीन सुल्तानाजी मेरे पसंदीदा गायक-गायिकाएं हैं। ये लोग मेरे हीरो हैं। इन लोगों ने मेरे संगीतमय सफर को प्रेरित किया है।”

पसंदीदा संगीत विधा के बारे में पूछे जाने पर सोना ने आईएएनएस से कहा, “ठुमरी, दादरा, चैती, होरी जैसे भारतीय संगीत के विभिन्न स्वरूपों के अलावा मुझे ब्लूज, जैज, फ्लेमेंको और इलेक्ट्रॉनिक संगीत के कुछ निश्चित स्वरूप भी पसंद हैं। विभिन्न विधाओं में से किसी एक को पसंद के तौर पर चुनना बेहद मुश्किल है।”

सोना से जब पूछा गया कि हमारे देश में पुरुष वर्चस्व वाले अधिकांश क्षेत्रों में महिलाओं को उनका वाजिब हक नहीं मिलता तो उनकी नजर में इस समस्या का क्या हल है? इस पर उन्होंने कहा, “इसका जवाब देना मुश्किल है। महिलाओं को अपना हक मांगने वाला बनना चाहिए। उन्हें महत्वाकांक्षी होना चाहिए और खुद को काबिल समझना चाहिए। कई महिलाएं अवसर खोने के भय से या दूसरों के लिए अपनी खुशी, अपने मूल्यों का बलिदान करती हैं, लेकिन मैं आशा करती हूं कि अगली पीढ़ी की महिलाएं अपनी काबिलियत के प्रति ज्यादा जागरूक व संजीदा होंगी। आने वाले सालों में इस समस्या से निपटने का सिर्फ यही तरीका है।”

गायिका ने कहा, “अगर देश में उद्योग जगत व सरकारी नौकरियों में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं ऊंचे पदों पर पहुंचती हैं तो भविष्य में हमें बेहतर और संतुलित संस्कृति का उभार देखने को मिलेगा। अन्य विकासशील देशों की तुलना में हमारे देश में कामकाजी महिलाओं की संख्या कम है। भारत जैसे विकासशील देश के उत्पादन क्षेत्र के लिए यह बहुत बड़ा नुकसान है।”

सोना रेड एफएम के सहयोग से एक शो ‘लाल परी मस्तानी’ लेकर आ रही हैं। वह इस शो में अपनी आवाज के जरिए उन मुद्दों को उठाएंगी जो उनके दिल के करीब हैं और इसमें संगीत का धमाल भी होगा।

–आईएएनएस

About Author