नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को केनरा बैंक के पूर्व मुख्य प्रबंध निदेशक और उनके पांच सहयोगियों पर दिल्ली की एक निजी कंपनी की मिलीभगत से साल 2014 में बैंक से 68.38 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में एक आरोप-पत्र दाखिल किया। जांच एजेंसी ने विशेष सीबीआई अदालत में पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आर. के. दुबे, पूर्व कार्यकारी अधिकारी अशोक कुमार गुप्ता और वी. एस. कृष्ण कुमार, पूर्व उप महाप्रबंधक मुकेश महाजन, पूर्व मुख्य महाप्रबंधक टी. श्रीकांतन और पूर्व सह महाप्रबंधक उपेंद्र दुबे के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल कर दिए।
बैंक से धोखाधड़ी के मामले में दायर आरोप-पत्र में दिल्ली की एक निजी कंपनी अकेजन सिल्वर प्राइवेट लिमिटेड और उसके दो निदेशकों -कपिल गुप्ता और राज कुमार गुप्ता- के नाम भी शामिल हैं।
सीबीआई ने 27 जनवरी, 2016 को अकेजन सिल्वर, इसके दो निदेशकों, अज्ञात सरकारी कर्मचारियों और अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले दर्ज किए थे।
सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपों के अनुसार चांदी, हीरे और सोने के आभूषणों, नकली आभूषणों आदि का फुटकर और थोक व्यापार करने वाली निजी कंपनी ने उत्तर दिल्ली स्थित बैंक की कमला नगर शाखा से 2013 में 68.38 करोड़ रुपये का ऋण लेने के बाद उसे चुकाया नहीं था।
उन्होंने बताया, “दिसंबर 2013 में ऋण जारी कर दिया गया, जिसे अगले तीन महीनों में चुकाया जाना था। जारी होने एक साल के अंदर ही 29 सितंबर, 2014 को इसे गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया। उस राशि को फर्जी लेन-देन द्वारा पारिवारिक सदस्यों और बैंक के उच्चाधिकारियों में वितरित किया गया।”
सीबीआई ने स्पष्ट किया है, “यह निष्कर्ष सीबीआई की जांच और उसके द्वारा इकट्ठे किए गए सबूतों पर आधारित है। भारतीय कानून के अनुसार आरोपियों को तबतक निर्दोष माना जाएगा, जब तक कि एक निष्पक्ष सुनावाई के बाद उनका दोष सिद्ध नहीं हो जाता।”
–आईएएनएस
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