पटना: जन अधिकार पार्टी के प्रमुख और सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि जिन्होंने वर्षो तक सत्ता का स्वाद चखा है, उन्हें आज 2018 में दलित और अल्पसंख्यकों की याद आ रही है।
उन्होंने महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा कि बिहार के लोगों को वे एक अन्य विकल्प देंगे।
उन्होंने बिहार में हाल के दिनों में हुई सांप्रदायिक हिंसा के लिए वोट, सत्ता, राजनीति और राजनेता को जिम्मेवार बताया।
कभी राजद के सांसद रहे पप्पू यादव ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा कि आज तक जितने भी लोग सत्ता में रहे हैं, उन्होंने दलितों और अल्पसंख्यकों का इस्तेमाल किया है। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए हुए कहा कि आज जो लोग दलितों के लिए सड़क पर उतर रहे हैं, वे वही लोग हैं, जो 27 वर्षो तक बिहार और केंद्र की सत्ता में रहे। उस समय इन्हें क्यों नहीं दलित की सुध आई थी?
उन्होंने सलाह देते हुए कहा, “सभी दलित सांसदों और विधायकों को एक अलग पार्टी बनानी चाहिए, तब अल्पसंख्यक भी साथ खड़े होंगे और हम जैसे लोग भी समर्थन में आएंगे।”
यादव ने कहा, “यह लड़ाई समाज की एकता की जो विचारधारा है, उसकी लड़ाई है। देश की सत्ता पर दलित क्यों नहीं बैठेगा? देश के राष्ट्रपति के पद पर एक-दो बार दलित को बैठाकर ‘लॉलीपॉप’ देते हैं ये लोग।”
राजनीति में जातिवाद की राजनीति की आलोचना करते हुए पप्पू कहते हैं, “मैं जातिगत राजनीति का जहर फैलाए बिना राजनीति करता हूं। सभी नेताओं ने समाज में जातिवाद का जहर पैदा कर दिया है।”
आरक्षण के विषय में पूछे जाने पर बेबाक तरीके से पप्पू कहते हैं, “मैं आरक्षण का विरोधी नहीं हूं, लेकिन आरक्षण जनसंख्या के आधार पर आर्थिक, शैक्षणिक रूप से कमजोर लोगों को मिलना चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।”
बिहार में महागठबंधन और राजग में शामिल होने पर उन्होंने कहा, “हमलोग न राजग में जा रहे हैं, ना ही महागठबंधन के साथ है। हमलोग संकल्प के साथ विकल्प देंगे। हमलोग सर्वहारा और मजदूर की बात करते हैं। आज नेता मुद्दों की बात नहीं करता। आज समाज में गरीबों और युवाओं के चेहरों पर मुस्कान लाने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा कि आज देश में ऐसे कानून बनाने की जरूरत है कि जो जाति, संप्रदाय, क्षेत्रवाद और तुष्टिकरण की बात करेगा, उसे सरकारी सुविधा नहीं दी जाएगी। उन्होंने बेबाक लहजे में कहा, “सभी आग नेताओं का ही लगाया हुआ है।”
हाल के दिनों में बिहार में सांप्रदायिक हिंसा के विषय में पूछे जाने पर मधेपुरा के सांसद ने कहा कि इसका मुख्य कारण सत्ता, वोट, राजनीति और राजनेता है। उन्होंने कहा कि इसके साथ विकास और रोजगार की बात समाप्त हो गई।
उन्होंने कहा कि आज नेताओं को लगता है कि सांप्रदायिक हिंसा से मुद्दे बदल जाएंगे। अब हिंदू-मुस्लिम और जातपात की लड़ाई होगी।
पिछले दिनों ‘फेम इंडिया श्रेष्ठ सांसद सम्मान 2018′ से सम्मानित सांसद पप्पू ने कहा, “विपक्ष को लगाता है कि अब अल्पसंख्यक डर गया और दलित गोलबंद हो रहे हैं, जिससे अब चांदी हो गई। सत्तापक्ष को लग रहा है कि अब विकास की बात कर नहीं सकते तो सबको मार दो।”
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि कहीं रामनवमी में शक्ति प्रदर्शन होता है क्या?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “अब तक मैं उन्हें जितना जान सका हूं, उसके अनुसार, नीतीश लोकप्रिय और जनप्रिय मुख्यमंत्री तो हैं, इसमें कोई दो मत नहीं है, परंतु वर्किंग मुख्यमंत्री’ में थोड़ी कमजोरी है। उनके पदाधिकारियों ने उन्हें वर्किंग मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया।”
उन्होंने नीतीश की तारीफ करते हुए कहा कि कुछ चीजों के साथ, जैसे भ्रष्टाचार, उन्माद, सांप्रदायिकता से वे समझौता नहीं कर सकते।
–आईएएनएस
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