नई दिल्ली: बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्म जगत में अपना खास मुकाम बना चुकी अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा का कहना है कि दुनिया में महिलाओं को दोयम दर्जे का समझा जाता है और वह इस मानसिकता में बदलाव चाहती हैं।
प्रियंका यूनिसेफ की सद्भावना दूत भी हैं।
प्रियंका से जब पूछा गया कि भारत में महिलाओं और लड़कियों के प्रति लोगों में क्या बदलाव देखा है, तो उन्होंने कहा, “हम एक व्यापक पितृ सत्तात्मक समाज में रह रहे हैं, सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में यही स्थिति है। महिलाओं को हमेशा दोयम दर्जे का समझा गया है। अवसरों को हासिल करने, नेतृत्व करने के लिए हमें लड़ना पड़ता है लेकिन एक चीज जो मैंने देखी है कि महिलाएं अब कम के साथ समझौता नहीं करती हैं और यह एक बड़ा बदलाव है।”
उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है कि 10 सालों में दुनिया बदलने जा रही है, आशा करती हूं कि मैं अपने जीवन में इसे देख सकूंगी, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो इसे अगली पीढ़ी के लिए बदलना चाहिए। मैं बस यही उम्मीद कर रही हूं। मुझे जिद करना पसंद है..महिलाओं को एक-दूसरे का सहयोग करते और महिलाओं को चारों ओर घूमकर यह बताते कि ‘यह गलत है’ देखना पसंद है।”
अभिनेत्री ने कहा, “सच यह है कि हम सोशल मीडिया के दौर में रह रहे हैं, आप अकेले नहीं हैं। हर चीज की अपनी अच्छाई और बुराई होती है, लेकिन इस मामले में आप अकेले नहीं है और यह एक बड़ा बदलाव है। आप और ज्यादा पुरुषों को महिलाओं के लिए खड़ा होते और यह कहते देखते हैं कि ‘यह गलत है’ लेकिन वैश्विक स्तर पर अभी भी काफी काम किए जाने की जरूरत है।”
प्रियंका पार्टनर्स फोरम में शामिल होने के लिए नई दिल्ली में थीं। यह एक ऐसा मंच है, जो महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार लाने के लिए सीखने और आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करता है।
इसका आयोजन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मातृ, नवजात एवं बाल स्वास्थ्य (पीएमएनसीएच) और अन्य साझीदारों के सहयोग से किया।
विश्व सुंदरी रह चुकीं प्रियंका ने अमेरिकी टीवी शो ‘ क्वांटिको’ से दुनियाभर में शोहरत बटोरी और वह भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से भी नवाजी जा चुकी हैं।
प्रियंका महिलाओं की इस खूबी को शानदार मानती है कि कैसे वे सहजता के साथ विभिन्न भूमिकाएं निभाती हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं में परिवार की देखभाल करने, शादी करने, बच्चे करने और साथ ही काम करने की सहज क्षमता होती है, वे एक ओर जहां घर की देखभाल करती हैं, वहीं अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर से बाहर जाती हैं, उन्हें बस परिवार, पति, पिता, मां के सहयोग व प्रोत्साहन की जरूरत होती है।
अभिनेत्री ने जोर देते हुए कहा कि लड़कियों का सम्मान करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “मैंने ढेर सारे सपने देखे हैं। मैं नहीं चाहती कि कोई भी बच्चा भूखा सोए, लेकिन एक बड़ा बदलाव मैं यह देखना चाहती हूं कि लड़कियों को महज पैदा करने का सामान नहीं समझना चाहिए। मैं एक ऐसा बदलाव देखना चाहती हूं जहां लड़कियों को खुद को साबित करने का मौका मिले।”
आजकल बॉलीवुड फिल्मों से दूरी बनाए जाने के बारे में पूछने पर प्रियंका ने हंसते हुए कहा कि वह सही पटकथा मिलने पर बॉलीवुड फिल्म करेंगी। उन्होंने बताया कि इस साल उन्होंने सात फिल्मों का निर्माण किया है।
–आईएएनएस
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