जयदीप सरीन, जालंधर (पंजाब): डब्ल्यूडब्ल्यूई मुकाबला भले ही दमदार, कठोर व हिंसक प्रतीत होता हो, मगर एक भारतीय महिला ने अंतराष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में अपना दम दिखाने की ठान ली है। वह पहली भारतीय महिला है जो डब्ल्यूडब्ल्यूई स्पर्धा की रिंग में उतरने जा रही है।
एक बेटे की इस मां को रिंग में उतरने के लिए हालांकि काफी मशक्कत करनी पड़ी है।
वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटनमेंट (डब्ल्यूडब्ल्यूई) में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘हार्ड केडी’ के नाम से चर्चित कविता देवी इस समय डब्ल्यूडब्ल्यूई के साथ तीन साल के अनुबंध के तहत अमेरिका के ओरलैंडो और फ्लोरिडा में प्रशिक्षण ले रही हैं।
खास बात यह है कि कविता परंपरागत भारतीय परिधान सलवार-कमीज पहनकर रिंग में उतरती हैं।
कविता ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “मुझे अपनी भारतीय संस्कृति के परिधान सलवार और कमीज पहनकर रिंग में उतरने पर गर्व है। सलवार कमीज पहननकर रिंग उतरने वाली मैं अकेली महिला हूं। कपड़ों को लेकर भारत की कई लड़कियां डब्ल्यूडब्ल्यूई कुश्ती स्पर्धा में जाना पसंद नहीं करती हैं। मैंने इस रूपक को तोड़ दिया है और अब हमारे देश की लड़कियां ज्यादा प्रेरित हो रही हैं।”
कविता ने कहा कि सलवार-सूट पहनाना उनके प्रदर्शन में कभी अड़चन नहीं बन पाया।
छह साल के बेटे की मां कविता की शादी वर्ष 2009 में एक रूढ़िवादी परिवार में हुआ, जहां परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाने में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी। छोटे किसान परिवार में पांच भाई-बहनों के साथ पली-बढ़ी कविता का बचपन कठिनाइयों में बीता।
हरियाणा के जींद जिला स्थित मालवी गांव की पक्के इरादों वाली हरियाणवी जाट बालिका डब्ल्यूडब्ल्यूई सर्कल में अपना दम दिखाने को प्रतिबद्ध है।
उनके प्रशिक्षक व उस्ताद ग्रेट खली (दलीप सिंह राणा) और जिंदर महल दोनों डब्ल्यूडब्ल्यूई चैंपियन रहे हैं।
जालंधर स्थित खली के रेसलिंग एकेडमी में प्रशिक्षित कविता ने कहा, “खली सर ही मुझे डब्ल्यूडब्ल्यूई की रिंग में लेकर आए। मेरे कॅरियर को बनाने में उनका बड़ा योगदान है। उन्होंने अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत की ख्याति फैलाई है।”
कविता (34) ने 2016 में डब्ल्यूडब्ल्यूई में आने के पहले 15 साल से अधिक समय तक कुश्ती की और 2016 के दक्षिण एशियाई गेम्स में भारत के लिए स्वर्ण पदक हासिल की।
कविता का वजन 75 किलोग्राम और कद पांच फुट नौ इंच है। वह कांटिनेंटल रेसलिंग एंटरटेनमेंट (सीडब्ल्यूई) का हिस्सा रही हैं औैर 2017 में फ्लोरिडा में आयोजित यंग क्लास डल्यूडब्ल्यूई चैंपियनशिप में भाग ले चुकी हैं।
हालांकि कविता का ध्यान ओरलैंडो स्थित डब्ल्यूडब्ल्यूई परफॉरमेंस सेंटर में पूरी तरह अपने प्रशिक्षण और आगामी स्पर्धा पर केंद्रित है, मगर उन्हें अपने देश में छोड़ आई अपने बेटे की याद आती है।
कविता ने कहा, “डब्ल्यूडब्ल्यूई में आने की बात मैंने कभी नहीं सोची थी। मुझे बस कुश्ती में अभिरुचि थी। यह बहुत ही अच्छा क्षेत्र है, जिसे मैंने अपनाया है। यहां मैं अपने देश के लिए काफी कुछ कर सकती हूं। मैं बहुत कठिन प्रशिक्षण व परीक्षण के दौर से गुजरते हुए यहां पहुंच पाई हूं।”
कविता से जब सवाल किया गया कि डब्ल्यूडब्ल्यूई वास्तविक स्पर्धा है या इसमें सिर्फ मनोरंजन होता है तो उन्होंने कहा, “डब्ल्यूडब्ल्यूई में मनोरंजन शब्द है मगर इसमें असलियत में स्पर्धा होती है। एथलीट ऊंची कूद लगाकर एक दूसरे पर वार करते हैं और उन्हें चोट पहुंचाते हैं। यह सब असलियत होती है।”
कविता ने अपनी उपलब्धियों व कार्यो के संबंध में चर्चा करते हुए कहा, “मुझे इस बात का गर्व है कि मैं लड़कियों को इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा दे पा रही हूं। लड़कियों को मुझसे प्रेरणा ग्रहण करते देखना प्रशंसनीय है।”
(यह साप्ताहिक फीचर श्रंखला आईएएनएस और फ्रैंक इस्लाम फाउंडेशन की सकारात्मक पत्रकारिता परियोजना का हिस्सा है)
–आईएएनएस
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