भोपाल: मध्य प्रदेश में बीते एक सप्ताह में छह किसानों ने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली है। किसान नेता इन आत्महत्याओं की वजह फसल की खरीदी में देरी और समय पर भुगतान न होना मान रहे हैं। विपक्ष ने इसके लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।
बुधवार को नरसिंहपुर जिले के सुआताल थाना क्षेत्र के गुड़वारा गांव में मथुरा प्रसाद (40) ने कर्ज से परेशान होकर जान दे दी। मथुरा प्रसाद पर लगभग ढाई लाख का कर्ज था, जिसे वह चुकाने में असमर्थ था। उसने जहरीला पदार्थ पीकर जान दे दी।
इसी तरह राजगढ़ के खानपुरा थाना क्षेत्र के बोड़ा गांव में बंशीलाल अहिरवार (80) ने फांसी के फंदे से लटककर जान दे दी। बुधवार को बंशीलाल ने आत्महत्या की।
बुरहानपुर में एक किसान ने कर्ज चुकाने के एवज में अपने बेटे को गिरवी रखा और जब वह कर्ज चुकाकर बच्चे को नहीं छुड़ा पाया तो उसने आत्महत्या कर ली।
धार के बदनावर में भी एक किसान जगदीश (40) ने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली।
उज्जैन के कडोदिया में किसान राधेश्याम और रतलाम में एक किसान ने जान दी है।
‘आम किसान यूनियन’ के केदार सिरोही का कहना है कि राज्य में सात दिन में छह किसानों की आत्महत्या से साफ है कि किसान परेशान हैं और सरकार उनकी मदद नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा कि किसान कई दिनों तक मंडी में फसल लिए खड़े रहते हैं और खरीद नहीं होती। यदि खरीद हो जाए तो भुगतान में कई सप्ताह लग जाते हैं।
सिरोही के अनुसार, एक तरफ किसान की उपज कम हुई है तो वहीं उस पर कर्ज बढ़ा है। किसान पर सहकारी समितियों से लेकर साहूकारों तक का दबाव है। किसान ने कर्ज लेकर बेटी की शादी की है तो किसी ने दूसरे जरूरी काम निपटाए हैं।
कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “देखिए मप्र में हमारे अन्नदाताओं के हालात। किसान ने अपने 17 साल के बेटे को गिरवी रख दिया और फिर भी कर्ज न चुका पाए तो आत्महत्या कर ली। प्रदेश के लिए अत्यंत शर्म की बात!”
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि वे लहसुन उत्पादक किसानों की फसल समर्थन मूल्य पर तत्काल खरीदें और जो किसान अपनी फसल रखना चाहते हैं उन्हें नि:शुल्क कोल्ड स्टोरेज की सुविधा दें। उन्होंने कहा कि ‘मुख्यमंत्री किसानों से दुश्मनी निकालना छोड़ें और तत्काल भावांतर योजना को बंद करें ताकि प्रदेश का किसान राहत की सांस ले सके।’
सिंह ने कहा कि जनवरी 2018 में पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल बिकने वाला लहसुन तीन माह बाद ही भावांतर के कारण 1000-500 रुपये क्विंटल के भाव पर आ गया है। मुख्यमंत्री ने जैसे ही भावांतर में लहसुन को शामिल करने की घोषणा की, दलालों ने वैसे ही बाजार में लहसुन के भाव गिरा दिए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार कह रहे है कि किसानों को उनकी फसल का उपयुक्त दाम मिलेगा। मंडियों में खरीदी के तुरंत बाद भुगतान होगा, मगर ऐसा हो नहीं पा रहा है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बादल सरोज का कहना है कि किसानों को भुगतान समय पर नहीं हो रहा है। किसानों को कई दिन तक मंडी में खड़े रहना पड़ रहा है, परिणामस्वरुप किसान खुदकुशी जैसा कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने वादे कई किए, मगर पूरे एक भी नहीं हुए।
–आईएएनएस
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