नई दिल्ली : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अर्बन फॉरेस्ट विकसित करने, हरियाली और स्वच्छ वातावरण की मुहिम को अमलीजामा पहनाने के लिए चालू मानसून सीजन के दौरान पौधरोपण अभियान शुरू करेगी। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी इस अभियान के अन्तर्गत पावन गुरबाणी के निर्देश अनुसार, नीम तथा बेर के पौधों को सिख श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित करेगी।
दिल्ली की सिख सस्थाओं मुख्यत: गुरुद्वारा रकाबगंज और गुरुद्वारा बंगला साहिब से इन पौधों का वितरण किया जाएगा। इस सीजन के दौरान कमेटी आम, आंवला, जामुन, गुलमोहर, नीम, बेर आदि प्रजातियों के दस हजार पौधे श्रद्वालुओं को मुफ्त वितरित करेगी जो कि पर्यावरण संरक्षण को बढ़ाव दे सके।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष श्री मंजीत सिंह जीके ने बताया कि वर्तमान कमेटी के वर्ष 2013 में सत्ता में आने के बाद राजधानी दिल्ली में सिख संस्थाएं अब तक लगभग एक लाख मुफ्त पौधों का वितरण कर चुकी है।
कमेटी सभी सिख गुरुओं के जन्म उत्सव, गुरूपर्व पर अपने सभी 27 सिख शिक्षा संस्थानों में बड़े पैमाने पर पौधारोपण करती है ताकि ऐसे उत्सवों को यादगार बनाया जा सके। कमेटी पौधो को निजी नर्सरियों और एन.डी.एम.सी./डी.डी.ए. जैसी संस्थाओं की नर्सरियों से ग्रहण करती है। हालांकि पिछले कुछ समय से सिख दानवीरों ने आम जनमानस में पर्यावरण मित्र पौधों को कमेटी को दान भी किया है।
दिल्ली सिख प्रबंधक कमेटी ने इस वर्ष 14 मार्च को सिख पर्यावरण दिवस पर राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से जंग लड़ने के लिए बड़े पैमाने पर ‘वर्टिकल गार्डनिंग’ का आयोजन किया जिसके अंतर्गत फ्लाईओवर आदि कंक्रीट शहरी भवनों, ढांचों को हरियाली प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रजातियों की लगभग 5,000 प्रजातियों का पौधरोपण किया गया। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सड़कों के किनारे धूल, वाहन प्रदूषण और वायु प्रदूषण से निपटने को सिख संस्थाओं द्वारा यह सबसे बड़ा प्रयास था।
सिख संस्थाएं वर्ष 2010 से 14 मार्च को हर वर्ष सिख पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न स्थानों पर व्यापक स्तर पर पौधरोपण करती है। दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबन्धक समिति के अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने बताया कि आगामी वर्षो में पर्यावरण को सुधारने के लिए समिति स्वयंसेवी संस्थाओं के सक्रिय सहयोग से पौधारोपण के लक्ष्य के दोगुना किया जाएगा। जिसके अंतर्गत छात्रों, श्रद्धालुओं स्थानीय लोगों तथा कर्मचारियों को सक्रिय रूप से जोड़ा जाएगा ताकि वन उत्पाद, वन्य जीवन तथा बरसात में पानी के बहाव में वृद्धि की जा सके।
–आईएएनएस
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