वक्फ कानून 1995 के अनुच्छेद 32 के संशोधित प्रावधानों के अनुसार किसी भी राज्य में वक्फ की संपत्ति की देख रेख का पूरा अधिकार उस राज्य के वक्फ बोर्ड के पास होता है। उसे वक्फ की संपत्ति के प्रबंधन तथा ऐसी संपत्तियों पर अवैध कब्जे या अतिक्रमण के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की पूरी शक्तियां प्राप्त होती हैं।
इसके साथ ही वक्फ कानून के अनुच्छेद 54 और 55 के अनुसार राज्य वक्फ बोर्ड उसकी संपत्तियों पर से अवैध कब्जा छुड़ाने के लिए कब्जा करने वाले के खिलाफ उचित कार्रवाई कर सकता है। इस तरह पूरी ऐसे में इस तरह की गतिविधियों का कोई ब्यौरा केन्द्र सरकार नहीं रखती।
अल्पसंख्यक मामलों के केन्द्रीय मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने लोकसभा में आज एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि वक्फ कानून 1995 में किए गए संशोघन के जरिए इसमें जो बड़े प्रावधान जोड़े गए हैं उसके तहत राज्य और संघ शासित प्रदेशों के वक्फ बोर्डों को वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जों के मामलों से निबटने के लिए व्यापक अधिकार दिए गए हैं। इसके साथ ही कब्जा करने वालों के लिए भी सख्त परिभाषा तय की गयी है। वक्फ परिसंपत्तियों का निर्धारित अवधि मे वक्फ की संपत्तियों का समूचा सर्वेक्षण कराने के लिए राज्य सरकारों को सर्वे आयुक्त नियुक्त करने का अधिकार दिया गया है।
इसके अलावा इसके जरिए राज्य वक्फ बोर्डो की अनुमति के बगैर किसी भी वक्फ संपत्ति को हटाने पर सख्त जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। इसे गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है। ऐसी संपत्तियों में रहने वाले किराएदारों को खाली कराने से जुड़े विवादों की सुनवाई के लिए अधिक अधिकार संपन्न तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण की व्यवस्था भी की गयी है। राज्य और संघ शासित वक्फ बोर्डों द्वारा कानून की व्यवस्थाओं के अनुपालन पर केन्द्र सरकार समय समय पर नजर रखती है।
केन्द्रीय वक्फ परिषद् को राज्य के वक्फ बोर्डों द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार वक्फ कानून 1995 के अनुच्छेद 72 के तहत राज्य के वक्फ बोर्डों द्वारा कानूनी रूप से किए गए योगदान से प्राप्त सलाना आय वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान कुल 29,78,06,985 रुपये रही। इसमें हरियाणा स्टेट वक्फ बोर्ड द्वारा किया गया योगदान भी शामिल है। श्री नकवी ने बताया कि उनका मंत्रालय देश में वक्फ बोर्डों द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न योजनाओं का भी कोई लेखा जोखा नहीं रखता।
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