नई दिल्ली: एप्पल के लिए इस साल भारतीय कारोबार अच्छा नहीं रहा है। खासतौर से प्रारंभिक अनुमानों में बताया गया है कि एप्पल ने साल 2018 की पहली छमाही में भारतीय बाजार में महज 10 लाख डिवाइसों की ही बिक्री की है, जबकि साल 2017 की समान अवधि ने एप्पल ने भारत में 31 लाख से अधिक आईफोन्स की बिक्री की थी। सीएमआर की इंडिया मासिक मोबाइल हेडसेट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
सीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक, केवल पंजाब और केरल में एप्पल शीर्ष की तीन स्मार्टफोन ब्रांड में शामिल रही। केरल में इस साल की मार्च तिमाही में कंपनी तीसरे नंबर पर रही इंस्टाल्ड स्मार्टफोन्स में एप्पल की हिस्सेदारी 5.25 फीसदी रही, जबकि पंजाब में एप्पल दूसरे नंबर पर रही और इंस्टाल्ड स्मार्टफोन्स में आईफोन्स की हिस्सेदारी 8.03 फीसदी रही।
तो बड़ा सवाल यह है कि क्या एप्पल भारतीय बाजार में संतृप्ति बिंदु तक पहुंच चुकी है? तो मेरा जवाब है – नहीं।
देश में तीन खंड हैं, जो आईफोन्स के संभावित खरीदार हो सकते हैं। पहला खंड प्रौद्योगिकी पसंद करनेवाला तबका है, जो इस ब्रांड के बारे में अच्छी जानकारी रखता है और खुद से फोन की खरीद का निर्णय लेने में सक्षम है। दूसरा खंड उन लोगों का है जो आईफोन्स खरीद सकते हैं और वे इसे खरीदना चाहते हैं, क्योंकि इसके साथ प्रीमियम का टैग जुड़ा है, चाहे वे आईफोन को अच्छी तरह से समझें या नहीं, वे फिर भी नवीनतम आईफोन्स खरीदते रहेंगे।
इसके अलावा एक और खंड उन लोगों का है, जिस पर एप्पल महत्वपूर्ण रूप से ध्यान नहीं दे रही है। ये वो संभावित खरीदार हैं, जिनकी एप्पल के उत्पाद खरीदने की क्षमता है, लेकिन वे एप्पल ब्रांड के महत्व को नहीं समझते और आईफोन को एक उत्पाद के रूप में ज्यादा भाव नहीं देते। उनके लिए यह भी एक और स्मार्टफोन ब्रांड है और वे खरीद का निर्णय विभिन्न ब्रांड्स के स्पेशिफिकेशंस और फीचर की तुलना करने के बाद लेते हैं।
उनकी निर्णय लेने की प्रक्रिया में एप्पल हमेशा पिछड़ जाता है, क्योंकि कंपनी का जोर स्पेशिफिकेशंस के मामले में प्रतिस्पर्धा करने पर कभी नहीं रहा है। ऐसे में ये खरीदार एंड्रायड स्मार्टफोन्स खरीदते हैं, जहां आईफोन से आधी कीमत पर उन्हें बेहतर फीचर्स और स्पेशिफिकेशंस मिलते हैं।
एप्पल इंडिया ने इस खंड में अपने उत्पाद की पैठ बढ़ाने पर कभी ध्यान नहीं दिया। पिछले कई सालों से एप्पल केवल अपने खुदरा चैनल के विस्तार पर ध्यान देता रहा है।
मेरा दृढ़ता से यह मानना है कि स्मार्टफोन्स में एप्पल इकलौता ऐसा ब्रांड है, जो ग्राहकों को खींच सकता है और उसे रिटेल के माध्यम से ग्राहकों को लुभाने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए कंपनी को ऑनलाइन बिक्री पर ध्यान देना चाहिए, जोकि कंपनी के लिए काफी फलदायी रहेगी।
इसके अलावा कंपनी भारत को ध्यान में रखकर कुछ अन्य पहल शुरू करना चाहिए। पहला तो कंपनी को मार्केटिंग पर ध्यान देना चाहिए। फिलहाल कंपनी की रणनीति यह है कि कुछ दिनों के लिए सारे अखबारों होर्डिग को आईफोन्स के विज्ञापनों से भर दो और बाद में बिल्कुल भी विज्ञापन मत करो। कंपनी को नियमित रूप से साप्ताहिक विज्ञापन जारी करते रहना चाहिए।
दूसरा यह कि एप्पल इंडिया अपने ग्राहकों से जुड़ने पर अधिक ध्यान नहीं देती, ना ही भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र या प्रभावशाली लोगों से जुड़ती है। अगर कंपनी ऐसा करना शुरू कर दे तो उसके ग्राहकों में तेजी आएगी।
तीसरा यह है कि एप्पल को संभावित ग्राहकों को शिक्षित करना चाहिए। उन्हें आईफोन के विशिष्ट फीचर्स के बारे में जानकारी देनी चाहिए। उदाहरण के लिए बात जब निजता और सुरक्षा की आती है तो इसमें एप्पल का कोई सानी नहीं है। लेकिन भारत में एप्पल अपनी विशेषताओं को ग्राहकों तक पहुंचा ही नहीं पाती।
–आईएएनएस
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