नतालिया निंगथौजम, नई दिल्ली: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता आशीष विद्यार्थी ने हिंदी, तेलुगू, मलयाली और बांग्ला जैसी भाषाओं में सैकड़ों फिल्में की हैं लेकिन उनके अंदर का अभिनेता अभी शांत नहीं हुआ है। उन्हें यह भी लगता है कि बॉलीवुड में उनके पास कम अवसर हैं।
कुछ सप्ताह पहले फिल्मकार विशाल भारद्वाज ने कहा था कि बॉलीवुड ने आशीष की प्रतिभा के साथ न्याय नहीं किया है और उन्हें बहुत कमतर आंका गया है और उनसे उनकी क्षमता से कम लिया गया है।
आशीष ने हंसते हुए कहा, “मैं (भारद्वाज से सहमत) हूं।”
उन्होंने आईएएनएस को फोन पर दिए साक्षात्कार में कहा, “कई किरदार हैं और मुझे उनमें से कोई भी करने का अवसर नहीं मिला है। मैं मजाक में लोगों से कहता हूं, ‘कभी-कभी मैं सोचता हूं कि क्या फिल्म उद्योग मेरे मरने का इंतजार कर रहा है और बाद में कहें कि बुरा हुआ। वह अच्छा अभिनेता था। उसे कमतर आंका गया और उसे पर्याप्त मौके नहीं मिले।”‘
वे फिल्म निर्माताओं को बताना चाहते हैं कि वे यहीं हैं।
‘अलीगढ़’ के अभिनेता ने कहा, “कई किरदार हैं और मैं निर्देशकों का इंतजार कर रहा हूं। कलाकार उपस्थित है।”
वे हिंदी फिल्म उद्योग में 90 के शुरुआती दशक से हैं और वे मानते हैं कि उन्होंने सशक्त किरदारों के लिए अपनी प्रतिभा और भूख को जिंदा रखा है।
एक यात्री से अपनी तुलना करते हुए उन्होंने कहा, “मैंने अन्य भाषाओं में 200 से ज्यादा फिल्में की हैं।”
उन्होंने कहा, “मेरी यात्रा के समय को धन्यवाद, जो कई अन्य भाषाओं ने मेरी खोज की। मैं उनका प्रतिनिधित्व करता हूं। मैंने अपना ज्यादातर सफर तय कर लिया है। मैं भाषाओं से परे एक कलाकार के तौर पर उपलब्ध हूं। मैं मजेदार किरदार की प्रतीक्षा में हूं. हिदी में भी।”
विद्यार्थी को ‘द्रोह काल’, ‘1942 : ए लव स्टोरी’, ‘अर्जुन पंडित’, ‘वास्तव : द रिएलिटी’ और ‘कहो ना.. प्यार है’ जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है।
तीन दशक के अपने अभिनय करियर से खुश होने के सवाल पर उन्होंने कहा, “मैं आभारी हूं और आगे भी तैयार हूं। एक कलाकार की यात्रा चलती रहती है।”
वे फिलहाल अभिनेत्री अमाला पॉल के साथ अपनी तमिल फिल्म की रिलीज का इंतजार कर रहे हैं।
अभिनय के अलावा वे खुद को प्रेरक वक्ता के तौर पर भी व्यस्त रखते हैं।
–आईएएनएस
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