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Signature Bridge के सामने छोटा दिखेगा Qutub Minar

नई दिल्ली : दिल्ली की जनता को लंबे इंतेजार के बाद आखिरकार सिग्नेचर ब्रिज मिल ही गया। यमुना को पार कराने के साथ साथ क्या है इस ब्रिज की खासियत हम आपको बताते हैं।

  1. शुरुआत में लागत करीब 464 करोड़ रुपये अनुमानित थी
  2. 1518.37 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ
  3. उत्तर पूर्वी दिल्ली को करनाल बाई पास रोड से जोड़ेगा ब्रिज

क्या है ख़ासियत?

सिग्नेचर ब्रिज प्रोजेक्ट को 2007 में दिल्ली कैबिनेट ने मंजूरी दी थी. 2010  के कॉमनवेल्थ से पहले सिग्नेचर ब्रिज का काम पूरा होना था, लेकिन डेडलाइन 2013 तक बढ़ा दी गई. समय बीत गया लेकिन काम पूरा नहीं हुआ. लिहाज़ा डेडलाइन जून 2016 तक बढ़ाई गई. इसके बाद जुलाई  2017 तक बढ़ाई गई डेडलाइन भी पूरी नहीं हो पाई.
सिग्नेचर ब्रिज का मुख्य आकर्षण उसका मुख्य पिलर है जिसकी ऊंचाई 154 मीटर है. पिलर के ऊपरी भाग में चारों तरफ शीशे लगाए गए हैं. लिफ्ट के जरिए जब लोग यहा पर पहुंचेंगे तो उन्हें यहा से दिल्ली का टॉप व्यू देखने को मिलेगा जो दिल्ली में किसी भी इमारत की ऊंचाई से अधिक होगा या ऐसे समझें कि इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार से दोगुनी से भी ज़्यादा है. जिससे यह पर्यटकों के लिए खास बनेगा. ब्रिज पर 15 स्टे केबल्स हैं जो बूमरैंग आकार में हैं. जिन पर ब्रिज का 350 मीटर भाग बगैर किसी पिलर के रोका गया है. ब्रिज की कुल लंबाई 675 मीटर चौड़ाई 35.2 मीटर है.

किसको मिलेगा फायदा?

यमुना नदी पर बना यह ब्रिज उत्तर पूर्वी दिल्ली को करनाल बाई पास रोड से जोड़ेगा. इस ब्रिज के बन जाने से उत्तर-पूर्वी दिल्ली के यमुना विहार गोकुलपुरी भजनपुरा और खजूरी की तरफ से मुखर्जी नगर, तिमारपुर, बुराड़ी और आजादपुर जाने वाले लोगों बड़ी राहत मिलेगी जो रोजाना वजीराबाद पुल के जरिए अपना सफर करते हैं और आधा से एक घंटे का समय उन्हें लग जाता है. अब वह यह सफर मिनटों में कर पाएंगे.

 

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