नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के क्रियान्वयन के खिलाफ कोई भी आदेश पारित करने से फिलहाल इंकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है। प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने अगली सुनवाई पर इस मुद्दे के लिए संविधान पीठ का गठन करने के भी संकेत दिए।
सीएए के खिलाफ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से सीएए प्रक्रिया पर कुछ महीनों के लिए रोक लगाने की मांग की।
महाधिवक्ता के.के. वेणुगोपाल ने हालांकि इसका विरोध करते हुए तर्क दिया कि यह स्थगन के समान है।
वेणुगोपाल ने कहा, “यह कानून के क्रियान्वयन पर स्थगन देने समान ही है।”
इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “हम आज ऐसा कोई आदेश जारी नहीं करेंगे।”
शीर्ष अदालत ने कहा कि सीएए के खिलाफ असम और त्रिपुरा की याचिकाओं पर अलग-अलग सुनवाई की जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि सीएए को लेकर पूर्व की अंतिम तारीफ 24 मार्च, 1971 के संदर्भ में असम की समस्या शेष भारत से अलग है। नए कानून के तहत नई तारीख 31 दिसंबर, 2014 है। इसलिए सीएए के विरोध में असम की याचिकाओं को शेष भारत से आईं याचिकाओं से अलग करना जरूरी है।
केंद्र द्वारा दायर एक स्थानांतरण याचिका पर शीर्ष अदालत ने सभी हाई कोर्ट्स को भी सीएए पर कोई आदेश देने से रोक दिया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पूर्व की संप्रग सरकार ने नए कानून के तहत 40,000 लोगों को नागरिकता देने का निर्णय लिया था और अगर नागरिकता देने दी गई है तो इसे रद्द करना अपरिवर्तनीय प्रक्रिया होगी।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उन लोगों को कुछ समय के लिए अस्थाई परमिट (अनुमति पत्र) दिए जा सकते हैं। सिंघवी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि कानून खुद किसी खास परिस्थिति में नागरिकता छीनने की बात करता है।
उन्होंने कहा, “नागरिकता वापस लेने का प्रावधान है।”
उन्होंने कोर्ट से कहा कि सरकार को 143 याचिकाओं में से लगभग 60 याचिकाओं की प्रतियां मिली हैं।
–आईएएनएस
और भी हैं
मुस्लिम महिलाओं और शिया धर्मगुरु ने वक्फ बिल का किया समर्थन
देश में गठबंधन हो रहा मजबूत, रणनीति के तहत बदली उपचुनाव की तारीख : डिंपल यादव
महाकुंभ 2025 : सनातन की अलख जगाने श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े का कुंभ नगरी में प्रवेश