राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने वैज्ञानिक उद्यम की गुणवत्ता और प्रासंगिकता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे विज्ञान को देश के लोगों के विकास और भलाई में योगदान देकर जनता के लिए काम करना चाहिए।
श्री कोविंद विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा आज नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने विश्वविद्यालय और प्रयोगशाला में सभी उपकरणों, ज्ञान, मानव शक्ति और बुनियादी ढांचे के साथ विज्ञान और वास्तव में समाज के सभी हितधारकों तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह जानकर खुशी हुई कि कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी की तर्ज पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भी वैज्ञानिक सामाजिक जिम्मेदारी की अवधारणा को विकसित कर रहा है और इसे नीति में शामिल कर रहा है। इस नीति में वैज्ञानिक बुनियादी ढांचा साझा करने कॉलेज के संकाय को परामर्श देना, अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देना और शीर्ष प्रयोगशालाओं में युवा छात्रों की यात्राओं का आयोजन करना शामिल हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उद्देश्य विज्ञान के महत्व के संदेश का प्रचार करना है। इसके दो पहलू हैं – अपने आप में विज्ञान, शुद्ध ज्ञान की खोज के रूप में और समाज में विज्ञान, जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एक उपकरण के रूप में। वास्तव में दोनों ही पहलू आपस में जुड़े हुए हैं, क्योंकि इन दोनों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण एक ही है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से ही हम पर्यावरण, स्वास्थ्य देखभाल, उचित आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा, भोजन एवं जल सुरक्षा तथा संचार आदि की चुनौतियों का प्रभावी रूप से समाधान कर सकते हैं। आज हमारे सामने अनेक प्रकार की जटिल समस्याएं हैं। विभिन्न संसाधनों की मांग और आपूर्ति के बढ़ते हुए असंतुलन से भविष्य में टकराव की संभावना है। हम सभी को इन चुनौतियों के स्थायी समाधान की अपनी तलाश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर निर्भर रहना होगा।
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