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लॉकडाउन : भूखों को दी जा रही रोटी में भी दल का प्रचार!

आर. जयन

बांदा (उप्र)। वैसे तो राजनीतिक खेल निराले होते हैं, लेकिन भूखों को दी जाने वाली रोटी में अगर कोई दल का प्रचार करता नजर आए तो थोड़ा अटपटा लगता है। कोरोनावायरस के चलते हुए लॉकडाउन से सारे काम-धंधे बंद हो जाने से कामगारों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में बुंदेलखंड में राजनीतिक दलों से जुड़ा कोई मोदी लंच पैकेट तो कोई समाजवादी भोजन बांट कर अपने दल का प्रचार कर रहा है।

वैसे बुंदेलखंड की सभी चार लोकसभा और उन्नीस विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है। लेकिन यहां एक भी सरकारी या गैर सरकारी औद्यौगिक संस्थान (फैक्ट्री) न होने की वजह से करीब दस से पन्द्रह लाख कामगार दिल्ली, मुंबई, गुजरात, हरियाण, पंजाब या अन्य किसी महानगर में मजदूरी करते हैं। इस बीच कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए अचानक 25 मार्च से 21 दिवसीय लॉकडाउन घोषित होने से महानगरों की सभी कंपनियां बंद हो गई और वहां से कामगारों को निकाल भी दिया गया। इन कामगारों में से ज्यादातर हजारों मील पैदल चलकर अपनी बुंदेली धरती पर आ तो गए, लेकिन वे अपने घर पहुंचने के बजाय क्वारंटीन केंद्रों में पहुंच गए। कुछ अब भी सड़कों में सफर कर रहे हैं। ऐसे हालातों में उनकी भूख मिटाने के लिए कुछ राजनीतिक दल के नेताओं ने हाथ तो बढ़ाया, लेकिन शर्मनाक लहजे के साथ।

बांदा जिले में तेजतर्रार माने जा रहे भाजपा के एक विधायक ने भूखों में अब तक सबसे ज्यादा लंच पैकेट बांटने का दावा किया है। लेकिन उनके लंच पैकेट को देखने से ही पता चलता है कि इस रोटी में भी प्रचार छिपा है। ये माननीय सड़क या क्वारंटीनन केंद्र में मोदी लंच पैकेट बांट रहे हैं। जिसपर भाजपा, उसका चुनाव निशान कमल का फूल और खुद के साथ प्रधानमंत्री की फोटो छपी है।

हालांकि, जरूरतमंदों के बीच पुलिसकर्मी और उनके अधिकारी भी भोजन और दवाएं लगातार वितरित कर रहे हैं, लेकिन उन्हें मीडिया तक नहीं देख पा रही। राज्य सरकार ने भी रोटी का इंतजाम किया है और किसी को भूखा न सोने देने के निर्देश दिए हैं।

इस संबन्ध में अक्सर भाजपा की नीति का विरोध करने वाली भाजपा नेत्री और जिला पंचायत सदस्य मीना भारती कहती हैं कि “सड़क या क्वारंटीन केंद्र में कोई अमीर नहीं है, सभी दलित वर्ग के मजदूर हैं। इसलिए विधायक और सांसद दलीय प्रचार कर उन्हें शर्मिदा कर रहे हैं।”

वह कहती हैं कि इसे इंसानियत नहीं, इंसानियत के नाम पर राजनीति ही कहा जाएगा।

वामपंथी विचारधारा के बुजुर्ग अधिवक्ता और अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह चौहान कहते हैं, “नेताओं की नियत ठीक नहीं है। मौत और भूख में राजनीति नहीं करनी चाहिए। एक तो बिना तैयारी के पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया, दूसरी ओर अब वफादारी दिखाई जा रही है। जैसे भूखों को भोजन देकर उनकी जन्मकुंडली सुधारी जा रही हो।”

–आईएएनएस

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