गाजियाबाद | यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो फर्जी प्रेस रिपोर्टर बनकर दलाली का धंधा कर रहा था। गिरफ्तार शख्स नौकरशाहों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर भी वसूली कर रहा था। गिरफ्तार ठग का नाम पीयूष अग्रवाल (30) है।
पीयूष की गिरफ्तारी की पुष्टि यूपी एसटीएफ प्रमुख अमिताभ यश ने की है। आरोपी के पास से डीडी न्यूज का फर्जी आईकार्ड, आधार कार्ड, डेबिट कार्ड, मोबाइल (आईफोन) भी मिला है। गिरफ्तार आरोपी राजनगर एक्सटेंशन गाजियाबाद में रहता है।
मामले का भंडाफोड़ एक वायरल ऑडियो से हुआ। ऑडियो की जांच का आदेश यूपी सरकार ने राज्य पुलिस एसटीएफ को सौंपा था। इस गैंग के भंडाफोड़ के लिए एसटीएफ प्रमुख आईजी पुलिस अमिताभ यश ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम सिंह, सब इंस्पेक्टर शिवनेत्र सिंह (लखनऊ) के नेतृत्व में टीम गठित की थी।
गिरफ्तारी पर आरोपी ने पुलिस को बरगलाने की कोशिश की। उसने खुद को पत्रकार, समाजिक कार्यकर्ता बताया। जिस वायरल वीडियो की जांच राज्य सरकार ने सौंपी उसके बारे में आरोपी ने बताया कि, इस ऑडियो क्लिप में आरोपी किसी कमलेश से बात कर रहा है। क्लिप में जिन गौरीकांत दीक्षित का नाम आया, आरोपी ने बताया वे उसके पास में ही रहते हैं। साथ ही कई ऊंच नीच वाले काम भी करते रहते हैं। गौरीकांत जेल भी जा चुका है।
पूछताछ में आरोपी ने एसटीएफ को बताया कि, गौरीकांत ने ही उससे एक आईएएस को कानपुर नगर विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनवाने को कहा था। तब वो गौरीकांत से बोला कि इस काम के सवा करोड़ रुपये लगेंगे। आरोपी के मुताबिक गौरीकांत के जरिये ही उसकी मुलाकात कमलेश से हुई थी।
कमलेश और उक्त आईएएस के रिश्तेदार बिजनेस पार्टनर हैं। पूछताछ में इन सबके बीच 15 लाख रुपये एडवांस के लेनदेन का भी खुलासा हुआ है। मामले का भांडा तब फूटा जब लॉकडाउन व अन्य कारणों से ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं हो सकी। गौरीकांत को दिल्ली पुलिस पीयूष की गिरफ्तारी से पहले ही किसी अन्य मामले में पकड़ कर जेल भेज चुकी है।
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