✅ Janmat Samachar.com© provides latest news from India and the world. Get latest headlines from Viral,Entertainment, Khaas khabar, Fact Check, Entertainment.

‘काला धन’: आम लोगों को घबराने की जरुरत नहीं

डॉ. वेदप्रताप वैदिक,

1000 हजार और 500 रु. के नोटों को बदलने का सरकार का निर्णय क्रांतिकारी है। इस निर्णय ने नरेंद्र मोदी को सचमुच ‘प्रचारमंत्री’ से प्रधानमंत्री बना दिया है। बांग्लादेश के निर्माण ने 1971 में जो छवि इंदिरा गांधी की बना दी थी, उससे भी अधिक चमचमाती छवि इस निर्णय से मोदी की बन सकती है। इसमें शक नहीं कि दोनों बड़े नोटों को बदलने के निर्णय ने धन्ना-सेठों की नींद हराम कर दी है और आम लोगों को भी थोड़ी-बहुत चिंता में डाल दिया है लेकिन यह चिंता निराधार है।

आम लोगों को घबराने की बिल्कुल भी जरुरत नहीं है। इन दोनों नोटों को सरकार ने रद्द नहीं किया है, सिर्फ बदला है। यदि वह इन्हें रद्द कर देती तो देश के सभी बैंक इन्हें 30 दिसंबर तक स्वीकार क्यों करते? बैंकों को सुबह 8 से रात 8 बजे तक खुला क्यों रखा जाता? हर बैंक में नए काउंटर क्यों खोले जाते? हजारों रुपयागाड़ियां बैंक की तरफ दिन-रात क्यों दौड़ाई जातीं? लोगों को 500 और 2000 के नए नोट क्यों दिए जाते? उन्हें दस लाख रु. तक जमा कराने की छूट क्यों दी जाती? महिलाओं को विशेष छूट क्यों दी जाती? चार हजार रु. रोज निकालने की सुविधा क्यों दी जाती? सरकार इस बात का पूरा ध्यान रख रही है कि आम आदमियों को कोई असुविधा न हो। फिर भी असुविधा हो रही है। गांव के लोगों को ज्यादा असुविधा होगी। सरकार और नौकरशाही को पूरा जोर लगाना होगा कि आम लोगों को असुविधा न हो।

जहां तक नगदप्रेमी करोड़पतियों, अरबपतियों, खरबपतियों और हमारे महान नेताओं का प्रश्न है, उन्हें भी ज्यादा डरने की जरुरत नहीं है। वे अपने हजारों कर्मचारियों और लाखों पार्टी-कार्यकर्ताओं में से एक-एक को लाखों पुराने नोट देकर उन्हें नये नोटों में बदलवा सकते हैं। उप्र के नेताओं ने यह ‘पवित्र कार्य’ शुरु भी कर दिया है। नेता ही नेता को पटकनी मार सकते हैं। जाहिर है कि सरकार डाल-डाल है तो सेठ और नेता पात-पात हैं। अब दो हजार के नोटों के कारण उन्हीं तिजोरियों और पेटियों में डबल माल भरा जा सकेगा।

यह भी हो सकता है कि 30 दिसंबर के 5-7 दिन पहले सरकार नई योजना घोषित कर दे, जिसके तहत छुपा धन जमा करनेवालों को 50 या 60 प्रतिशत टैक्स लेकर बरी कर दिया जाए। सरकार भी मालामाल हो जाएगी। उसे कम से कम 8-10 लाख करोड़ रु. मिल जाएंगे और सारा छिपा धन भी उजागर हो जाएगा। लेकिन यह ‘काले धन’ को जड़-मूल से उखाड़ने का उपाय नहीं है। फिर भी यह रास्ता उसी मंजिल की तरफ जाता है, इसीलिए इसका स्वागत है। इस एतिहासिक कदम का श्रेय बाबा रामदेव और अनिल बोकील को है, जिन्होंने कालेधन और बड़े नोटों के खिलाफ जबर्दस्त अभियान चलाया था।

About Author