नई दिल्ली: Delhi के GB Road की गिनती भारत के सबसे बड़े Red Light एरिया में होती है। ये अजमेरी गेट से लाहौरी गेट तक फैला हुआ है यानी कि करीबन एक किलोमीटर के दायरे में है। Sex worker Corona के चलते बना रही mask।
जर्जर भवनों और दुकानों के ऊपर कोठों में भारी संख्या में Sex Worker रहती हैं। लॉकडाउन और कोरोना महामारी के दौरान यहां आने वाले ग्राहकों की संख्या में भारी गिरावट आई है। कई Sex Worker ऐसे भी हैं जो कि काम न होने की वजह से अपने अपने घर वापस चली गईं हैं। दूसरी ओर कुछ Sex Worker ऐसी भी हैं जो कि एनजीओ में जाकर मास्क बनाना सीख रही हैं।
कटकथा एनजीओ की एसोसिएट डायरेक्टर गीतांजलि ने बताया, “हमारे एनजीओ में GB Road से 8 महिलाएं Mask बनाने आ रहीं है। अभी हम उन्हें ट्रेनिंग दे रहे हैं, ताकि भविष्य में वो बाकी महिलाओं को मास्क बनाना सिखा सकें। जीबी रोड में मौजूद अन्य महिलाओं की गुजारिश है कि उनके कोठे में ही Mask बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके लिए हम कोशिश कर रहे है लेकिन इसमें अभी समय लगेगा। इस वक्त 750 महिलाएं जीबी रोड पर मौजूद हैं।”
उन्होंने कहा, “Mask की ट्रेनिंग का काम हमने 15 दिन पहले ही शुरू किया है। हमारा स्कूल भी चौथी मंजिल पर है, हम कोशिश कर रहे हैं कि नीचे शिफ्ट हो जाएं। जिसके लिए मैं डीएम से भी बात कर रही हूं। इससे अन्य महिलाएं भी आराम से आ सकेंगी। भरोसा कायम होने में कई साल लग गये, इसलिये काफी समय लगा इन्हें बाहर निकलने में।”
GB Road पर 22 बिल्डिंग है। इन सभी बिल्डिंग में कुल 84 कोठें है और हर कोठे का एक नम्बर होता है। ये सभी कोठे दूसरी और तीसरी मंजिल पर बसे हुएं हैं। हर कोठे में 10 से 15 सेक्सवर्कर्स हैं। कुल 750 सेक्सवर्कर्स है। आईएएनएस ने कोठे नम्बर 44, 40 और 51 में रह रहीं सेक्सवर्कर्स से बात की।
संगीता (बदला हुआ नाम) ने आईएएनएस को बताया, “लॉकडाउन की वजह से मैं मास्क बनाना सीख रही हूं। मैं यहां से रोजाना जाती हूं और मास्क कैसे बनाते हैं, सीखती हूं।”
सरस्वती (नाम बदला हुआ) ने आईएएनएस ने बताया, “हमारा ये रोजगार है। हम यही काम करते है और यही बंद हो गया। अब हम क्या करेंगे ? मेरे 3 बच्चे हैं, उनका खर्चा कैसे चलेगा? मैं यहां 15 साल से हूं। कोरोना से बहुत डर लगता है। कोई ग्राहक आता भी है तो हम मना कर देते हैं। अब कोठे में सब सेनिटाइजर और मास्क लगाकर रहते हैं।”
कलकत्ता की रहने वाली अनिता ( बदला हुआ नाम) 20-25 सालों से यहां है। उन्होंने आईएएनएस को बताया, “अभी तो सब कुछ बंद है। हमें सूखा राशन मिलता है अभी उसी से पेट भर रहे हैं, लेकिन उतना काफी नहीं है। हमारे पास पैसा नहीं है। यहां जान हथेली पर लेकर बैठे हैं। मेरे 2 बच्चे हैं जो कलकत्ता में पढ़ाई कर रहे हैं। अगर इसी तरह बंद रहा तो मेरे बच्चों का और मेरा भविष्य मुश्किल नजर आ रहा है।”
इस इलाके के पुलिस अफसर ने आईएएनएस को बताया, “यहां अभी फिलहाल सब कुछ बंद पड़ा हुआ और किसी भी तरह की गतिविधि की अनुमती नहीं है। इन्हें भी अपनी जान का खतरा है।”
–आईएएनएस
और भी हैं
दिल्ली-एनसीआर में आज से लागू किए गए ग्रैप-2 प्रतिबंध, जानें क्या रहेंगी पाबंदियां
दिल्ली सरकार ने फिर शुरू की ‘मुख्यमंत्री जय भीम योजना’
दो सरकारी बंगले पर कब्जा करना चाहती हैं आतिशी : विजेंद्र गुप्ता