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WASHINGTON D.C., July 23, 2019 (Xinhua) -- U.S. President Donald Trump (L) welcomes Pakistani Prime Minister Imran Khan at the White House in Washington D.C. July 22, 2019. (Photo by Ting Shen/Xinhua/IANS)

पाक व अमेरिका: दुश्मनी के डमरु

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

गलवान घाटी को लेकर चल रहे भारत-चीन तनाव पर दो संवाद अभी-अभी ऐसे हुए हैं, जिन पर विदेश नीति विशेषज्ञों का ध्यान जाना जरुरी है। एक तो अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियों और भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर के बीच और दूसरा चीनी विदेश मंत्री वांग यी और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बीच ! कुरैशी मेरे पुराने परिचित हैं। कई सेमिनारों में हमारे भाषण साथ-साथ हुए हैं। सबसे पहले उनके स्वास्थ्य-सुधार के लिए उन्हें शुभकामना देता हूं, क्योंकि जिस दिन उन्होंने चीनी नेता से बात की, उन्हें कोरोना हो गया। यह कितना मजेदार तथ्य है कि अमेरिका और पाकिस्तान, दोनों का रवैया एक-जैसा है। दोनों के विदेश मंत्रियों के बयान एक-जैसे हैं। भारत-चीन संबंधों पर दुनिया के लगभग 200 देश अपने मुंह पर पट्टी बांधे हुए हैं या शांति की फुसफुसाहट कर रहे हैं, सिर्फ अमेरिका और पाकिस्तान ही ऐसे दो देश हैं, जो दुश्मनी के डमरु बजा रहे हैं। अमेरिका भारत से कह रहा है कि चीन विस्तारवादी है। झगड़ेबाज है। कब्जाबाज है। हिंसक है। उसके सामने डटे रहो। हम अपनी फौजें यूरोप से हटा रहे हैं। (जरुरत पड़ी तो उन्हें आपकी सेवा में भी पठा देंगे।) उधर पाकिस्तान तालियां बजा रहा है और थालियां पीट रहा है। वह चीन को बधाई दे रहा है कि उसने फौजी विस्तारवाद को पीछे धकेल दिया। चीन हर हाल में पाकिस्तान का दोस्त रहा है और पाकिस्तान अब भी हर मुद्दे पर चीन के साथ है। वह ‘एक चीन नीति’ को मानता है। वह हांगकांग, ताइवान, तिब्बत और सिंक्यांग के सवाल पर भी चीन के साथ है। क्या कश्मीर पर चीन पूरी तरह पाकिस्तान के साथ है ? पाकिस्तान को चीन के आगे इतना ज्यादा पसरने की जरुरत क्या है ? पाकिस्तान के समर्थन से चीन को क्या फायदा है ? क्या चीन की खातिर पाकिस्तान, भारत के खिलाफ युद्ध का दूसरा मोर्चा खोलना चाहेगा ? वह क्यों घर बैठे मुसीबत मोल लेना चाहेगा ? कुरैशी को क्या पता नहीं कि सिंक्यांग में मुसलमानों की कितनी दुर्दशा है ? 10 लाख उइगर चीनी-शिविरों में कैद हैं। पाकिस्तान यह अच्छी तरह समझ ले कि उसे अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी। चीन सिर्फ जाबानी जमा-खर्च करता रहेगा। इसी तरह भारत को भी समझ लेना चाहिए कि अमेरिका इसलिए भारत की पीठ ठोक रहा है कि आजकल चीन से उसकी ठनी हुई है। भारत और पाकिस्तान-जैसे देशों के नीति-निर्माताओं को यह बताने की जरुरत नहीं है कि ये महाशक्तियां अपने स्वार्थों को सिद्ध करने के लिए ही आपकी पीठ ठोकती हैं। इनके दम पर हद से ज्यादा उचकना ठीक नहीं है।
(लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं)

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