मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति की तरफ लौटने के संकेत दे रही है। दास ने सातवें एसबीआई बैंकिंग एंड इकॉनॉमिक्स कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यम अवधि का ²ष्टिकोण अभी भी अनिश्चित है।
उन्होंने कहा, हमारे दैनिक जीवन में महामारी के पर्याप्त प्रभाव के बावजूद, सभी भुगतान प्रणालियों और वित्तीय बाजारों सहित देश की वित्तीय प्रणाली बिना किसी बाधा के कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद सामान्य स्थित की ओर लौटने के संकेत देने लगी है। हालांकि, यह अभी भी अनिश्चित है कि आपूर्ति श्रंखला पूरी तरह से कब बहाल होगी, मांग की स्थिति को सामान्य होने में कितना समय लगेगा? हमारी संभावित वृद्धि पर महामारी किस तरह के टिकाऊ प्रभाव छोड़ेगी।”
उन्होंने बताया कि रिजर्व बैंक द्वारा अपनाए गए एक बहु-आयामी ²ष्टिकोण ने बैंकों को महामारी के तत्काल प्रभाव से बचाया है। दास ने कहा कि हालांकि मध्यम अवधि का ²ष्टिकोण अनिश्चित है और यह कोविड-19 वक्र (कर्व) पर निर्भर करता है।
दास के अनुसार, रिजर्व बैंक ने वित्तीय संस्थानों को अपनी बैलेंस शीट में कमजोरियों को देखने के लिए एक कोविड तनाव परीक्षण करने के लिए कहा है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि आरबीआई ने कमजोर संस्थानों को तुरंत खोजने और सुधारात्मक कदम उठाने के लिए अपने ऑफसाइट निगरानी तंत्र को मजबूत किया है।
दास ने कहा कि रिजर्व बैंक वित्तीय स्थिरता को संरक्षित करने, बैंकिंग प्रणाली को सही बनाए रखने और आर्थिक गतिविधियों को बनाए रखने के बीच संतुलन बनाने का काम करता है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आर्थिक वृद्धि को सहारा देने के लिए फरवरी 2019 के बाद से नीतिगत दरों में 2.5 प्रतिशत की कटौती की है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक की पारंपरिक व गैर-पारंपरिक मौद्रिक नीतियां तथा नकदी के उपाय बाजार के भरोसे को पुन: बहाल करने, तरलता की दिक्कतों को आसान करने तथा रचनात्मक उद्देश्यों के लिए जरूरतमंदों को वित्तीय संसाधन मुहैया कराने पर केंद्रित हैं।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी का ठीक-ठाक असर होने के बाद भी सभी भुगतान प्रणालियों और वित्तीय बाजारों समेत देश का वित्तीय तंत्र बिना किसी रुकावट के काम कर रहा है।
दास ने कहा कि रिजर्व बैंक वित्तीय स्थिरता के जोखिमों के बदलते स्वरूप का लगातार आकलन कर रहा है और वित्तीय स्थिरता का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए निगरानी की रूपरेखा को उन्नत बना रहा है।
गवर्नर ने कहा कि बैंकों तथा वित्तीय बाजार की इकाइयों को सतर्क रहना होगा और उन्हें संचालन, विश्वास कायम रखने वाली प्रणालियों तथा जोखिम के संबंध में अपनी क्षमताओं को उन्नत बनाना होगा।
उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए, लक्षणों की तुलना में कमजोरियों के कारणों पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए।
–आईएएनएस
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