गोवा। गोवा में 47वें भारत अंतर्राष्ट्रीतय फिल्मोमत्स्व (आईएफएफआई) में मास्टर क्लास को संबोधित करने वाले फिल्म एडिटर श्री एलन हीम और छायाकार रॉबर्ट योमैन ने मीडिया से बातचीत करते हुए इस पहल पर प्रसन्नता व्याक्त की। श्री एलन हीम ने कहा कि उन्हें इस असाधारण महोत्सव में भाग लेकर बहुत खुशी हुई है। उन्होंने 47वें आईएफएफआई में आज एडिटिंग पर मास्टर क्लास को संबोधित किया। उन्होंने मीडिया को बताया कि उनकी मास्टर क्लास में कई उत्सुक दर्शक और छात्र शामिल हुए तथा उन्होंने कई बढिया और प्रासंगिक प्रश्न भी किए। श्री हीम ने कहा कि उनकी क्लास में भारतीय छात्र भावनात्म्क सामग्री के बारे में जानने के लिए अधिक उत्सुक थे।
भारतीय सिनेमा पर मीडिया के प्रश्नों का उत्त्र देते हुए श्री हीम ने कहा कि अधिकतर भारतीय फिल्मों में सब-टाइटल न होने की वजह से उन्होंने ज्यादातर भारतीय फिल्मे नहीं देखीं हैं, लेकिन जब उन्होंने सत्यजीत रे का काम देखा, तो वे चकित रह गए। उन्होंने यह भी बताया कि इस फिल्मोत्स में उन्होंने दो भारतीय फिल्में देखी हैं और दोनों ही फिल्में उन्हें बेहतरीन लगीं।
अमरीका के एकेडमी ऑफ मोशन फिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज में फिल्म एडिटर श्री एलन हीम ने थियेट्ररिकल फिल्मों में काम करने से पहले कई टेलीविजन धारावाहिकों में साउंड और म्यूजिक एडीटर के तौर पर कार्य किया है। इससे पहले वे सिडनी लूमेट में दलाली करते थें और यहीं से उन्होंने लूमेट की फिल्में द सीगल, ब्ल ड कीन और नेटवर्क की एडिटींग की। इसके बाद उन्होंने बड़े पर्दे और टेलीविजन के लिये लगभग 40 फिल्मों की एडिटिंग की और 2015 में उन्होंने ‘आई सॉ द लाईट’ की एडिटिंग की है।
अमरीका के एकेडमी ऑफ मोशन फिक्चंर आर्ट्स एंड साइंसेज में छायाकार श्री रॉबर्ट योमैन ने कहा कि यह उनकी दूसरी भारत यात्रा है। पहली बार वे सात साल पहले ‘द दार्जिलिंग लिमिटेड’ की शूटिंग के लिये यहां आये थे। उनके कार्य और फिल्मों पर सत्यजीत रे की फिल्मों का बहुत प्रभाव पड़ा है। भारतीय नृत्य और सड़कों पर शूटिंग करना उन्हें काफी आकर्षक लगता है और उनका मानना है कि भारत की प्राकृतिक सुन्दरता छायाकार के लिए वरदान है।
एक प्रश्न के उत्तर में श्री योमैन ने कहा कि छायाकारों को उनके एडिटरों के कार्य का सम्मान करना चाहिए और उनके कार्य में बाधा डालने से बचना चाहिए। हालांकि फिल्म निर्माण में छायाकार महत्वंपूर्ण भुमिका निभाते हैं, लेकिन एडिटर और पटकथा का भी उतना ही महत्वं होता है। श्री योमैन ने कहा कि उन्होंने अपने काम की एडिटिंग को लेकर कभी भी कोई शिकायत नहीं की।
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