नई दिल्ली। बिहार चुनावों में नीतीश कुमार सरकार ने एससी एस टी लोगों को नौकरी देने की जो घोषणा की है। वो सिर्फ चुनावी जुमला है। यह कहना है। ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस एम आसिफ ने। ऑल इंडिया माइनोरिटी फ्रंट ने बिहार में अनुसूचित जाति एवं जनजातियों पर हो रहे अत्याचार के मामलों पर कार्यवाही न किए जाने पर चिन्ता प्रकट की है। फ्रंट का मानना है कि एससी एसटी समुदाय के साथ- साथ बिहार में अल्पसंख्यों के विरूद्ध उत्पीडऩ, अत्याचार के मामले बिहार में नीतीश शासनकाल में बढ़े हैं। इससे साबित होता है कि वे राज्य को सुसाशन देने के मामले में पूरी तरह से फेल हुए है। जनता को उनके कुशासन से मुक्ति का समय आ गया है।
आल इंडिया माइनोरिटी फ्रन्ट के अध्यक्ष एस एम आसिफ ने कहा है कि चुनाव सिर पर हैं तो नीतीश कुमार को अल्पसंख्यकों और दलित -आदिवासयिों की याद आई है। वे मुसलमानों को फुसलाने के लिए कब्रिस्तान की चारदीवारी करवाने की बात कर रहे हैं, जबकि मुसलमानों के सामने अन्य बिहारवासियों की तरह रोजगार और सुरक्षा बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ होने के कारण वे मुसलमानों की मूल समस्या की ओर ध्यान नहीं देना चाहते हैं। अपनी संघी मानसिकता के चलते उन्होंने दलित आदिवासियों की ओर अपने पूरे शासनकाल में कोई ध्यान नहीं दिया। इसलिए दलितों का उत्पीडऩ बढ़ता गया। विधान सभा चुनाव में इन लोगों को भ्रमित और दिखावटी न्याय दिलवाने के लिए सरकार ने सीबीआई से कहा है कि वह एस सी, एस टी उत्पीडऩ के मामलों की निपटवाने में तेजी लाएं।
आसिफ ने कहा कि दिसम्बर 2019 तक एससी-एसटी एक्ट से जुड़े 5000 मामलों की जांच लंबित थी। सवाल है कि इतने मामले लम्बित क्यों रहे। हालांकि दलित उत्पीडऩ के सभी मामले दर्ज नहीं होते हैं । अब लंबित मामलों के निष्पादन के लिए सीबीआई के निर्देश दे कर कथित न्याय का अभियान शुरू किया गया। करीब 4300 लंबित मामलों का आधा अधूरा निष्पादन किया है। जिनसे ज्यादातर पीडि़त असंतुष्टï हैं। लगता है कि शेष 700 मामलों की जांच भी इसी तरह पूरी कर ली जाएगी। और कहा जाएगा कि उत्पीडऩ का एक भी मामला अब बचा नहीं है।
आसिफ ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज होनेवाले मामलों में जांच 60 दिनों में पूरा करना होता है। लेकिन लम्बे समय तक इन मामलों पर हीला हवाला चलता रहता है। चूंकि चुनाव के समय दलित व आदिवासी हितैषी व खुद को उनका खुद को समर्थक दिखाना है , इसलिए नीतीश सरकार इन मामलों की जांच कम और दिखावा ज्यादा कर रही है। आसिफ ने कहा कि जनता को अब नीतीश कुमार का अधिनायकवादी चेहरा पहचान लेना चाहिए । वह उनके साथ खड़े हैं जो सरकारी उद्यमों को कौडिय़ों के भाव बेच रहे हैं और देश में लोकतंत्र को खत्म करने पर तुले हैं।
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