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दिल्ली विश्वविद्यालय : डूटा और डूसू, छात्र सोसायटी फंड से वेतन देने के खिलाफ

नई दिल्ली:दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई के बाद, डीयू के 12 कालेजों में छात्र सोसायटी फंड से शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को वेतन देने के लिए राज्य सरकार की अधिसूचना पर फिलहाल अमल नहीं होगा। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ ने इस फैसले का स्वागत किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष अक्षित दहिया ने कहा, “हम दिल्ली के माननीय उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं। जो 12 कॉलेजों को स्टूडेंट्स सोसाइटी फंड से कर्मचारियों को वेतन देने के विषय में है। हम अपने अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।”

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील जीवेश तिवारी को निर्देश दिया कि वे सुनवाई के लिए अगली तारीख तक एक आवेदन ले जाएं ताकि कॉलेजों को उक्त याचिका का पक्ष बनाया जा सके।

अदालत ने 5 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई के लिए कहा। डूटा ने भी छात्र सोसायटी फंड से वेतन देने का विरोध किया है। शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को वेतन के भुगतान के संबंध में दिल्ली सरकार के एक आदेश पर चर्चा करने के लिए इससे पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रिंसिपल एसोसिएशन (डीयूपीए) कार्यकारिणी की एक आकस्मिक बैठक भी हो चुकी है।

डीयूपीए के मुताबिक दिल्ली सरकार के ऐसे तर्कहीन, मनमाने और गैरकानूनी आदेश से डीयूपीए नाराज और निराश है, जो कॉलेज प्रशासन को निर्देश दे रहा है कि कैंपस प्लेसमेंट जैसी गतिविधियों के लिए स्टूडेंट्स सोसाइटी फंड के तहत कई वर्षों से जमा हुए छात्रों के पैसे को वेतन में खत्म करें।

डीयूपीए ने कहा, “कौशल वृद्धि, कैरियर परामर्श और लिंग संवेदीकरण, विशेष जरूरतों, पाठ्येतर गतिविधियों, सांस्कृतिक कार्यों और छात्र विनिमय कार्यक्रमों के साथ छात्रों के खर्च को पूरा करना, महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण देना और कक्षा के बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए यह अनुदान है।”

डीयूपीए ने कहा, “दिल्ली सरकार द्वारा यह कहना कि केवल छात्र सोसाइटी फंड समाप्त होने के बाद ही फंड जारी किया जाएगा, छात्रों के बीच क्षमता बढ़ाने, सॉफ्ट स्किल सीखने और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के लिए गतिविधियों को पूरी तरह से रोक देगा। यह कार्यकलाप छात्रों के व्यापक व्यक्तित्व के लिए अत्यावश्यक हैं।”

–आईएएनएस

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