नई दिल्ली : ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस एम आसिफ ने कहा है। कि देश में कृषि के काले कानूनों के विरोध में जब आज देश में किसान अपने हक की आवाज उठा रहे हैं, तो फिर यूपी ,बिहार,बंगाल के किसान क्यो पीछे है। क्या यह कानून उनको परेशान नहीं करेगा। आसिफ ने कहा कि जो अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद नहीं करता उसका शोषण होना निश्चित हो जाता है। आज पंजाब के किसान आवाज उठा रहे हैं। सरकार उनकी नहीं सुन रही कल यूपी बिहार और बंगाल के किसानों का भी सोषण होगा तो क्या वो तब आवाज बुलंद करेगे। आसिफ ने कहा कि यह काला कानून पंजाब के किसानों का ही बुरा नहीं करेगा इसका असर देश के सभी किसानों पर होगा। इसलिए देश के सभी किसानों को अब लामबंद हो जाना चाहिए। आसिफ ने कहा, देश भर में कुल किसानों की आबादी में छोटे किसानों का हिस्सा 86 प्रतिशत से अधिक है और वो इतने कमज़ोर हैं कि प्राइवेट व्यापारी उनका शोषण आसानी से कर सकते हैं।
देश के किसानों की औसत मासिक आय 6,400 रुपये के क़रीब है। नए क़ानूनों में उनकी आर्थिक सुरक्षा तोड़ दी गयी हैं और उन्हें कॉर्पोरेट के हवाले कर दिया गया है। नए कृषि क़ानून में दो ऐसी बातें हैं, जिनसे भारत में कृषि और किसानों का भविष्य अंधकार में पड़ता दिखाई देता है।
उन्होंने कहा हैं, “ये एपीएमसी और कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग या ठेके पर की जाने वाली खेती सबसे घातक है. कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग के तहत बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ एक तालुका या गांव के सभी किसानों की ज़मीने ठेके पर ले सकती हैं और एकतरफ़ा फ़ैसला कर सकती हैं कि कौन-सी फ़सल उगानी है. किसान इनके बंधुआ मज़दूर बन कर रह जाएँगे।”
आसिफ ने कहा कि “सरकार ने नए क़ानून लाकर कृषि क्षेत्र का निगमीकरण करने की कोशिश की है और इसे भी ‘अंबानी-अडानी और मल्टीनेशनल कंपनियों के हवाले’ कर दिया है।”
उन्होंने कहा, “समझने की बात ये है कि निजी कॉर्पोरेट कंपनियां जब आएँगी तो उत्पाद में मूल्य संवर्धन करेंगी, जिसका लाभ केवल उन्हें होगा. छोटे किसानों को नहीं. आप जो ब्रैंडेड बासमती चावल खरीदते हैं वो मूल्य संवर्धन के साथ बाज़ार में लाए जाते हैं।”
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