नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि मेट्रो कोच में छोटे चाकू ले जाने पर लगी पाबंदी काफी पहले हटा ली गई थी और इसका बेंगलुरु में हुई छेड़छाड़ की घटना से कोई लेना-देना नहीं है। मीडिया के एक हिस्से में शुक्रवार को आई खबरों में दावा किया गया था कि डीएमआरसी ने चाकू ले जाने पर लगी रोक को इसलिए हटाया है ताकि महिलाएं आत्मरक्षा कर सकें।
इन खबरों के बाद डीएमआरसी ने शाम को स्पष्टीकरण जारी किया कि मेट्रो कोच में चाकू ले जाने पर पाबंदी दो महीने पहले ही हटा ली गई थी और यह महिलाओं की आत्मरक्षा से संबंधित फैसला नहीं था।
मेट्रो ने कहा कि महिलाएं फल काटने के लिए अपने टिफिन-बॉक्स में छोटे चाकू रखती हैं, जो स्कैनिंग मशीन में दिख जाते हैं। इसके बाद स्टेशन पर उनकी जांच करनी पड़ती है। इन छोटे चाकू को ले जाने की मंजूरी देने का फैसला समय बचाने के लिए था, ताकि उनकी जांच में लगने वाला समय बच सके।
केंद्रीय ओद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के प्रवक्ता मंजीत ने आईएएनएस से कहा, “अगर टिफिन बॉक्स में चाकू दिख जाता है, तो उसकी जांच करने में प्राय: एक से डेढ़ मिनट का समय लग जाता है। मेट्रो से रोजाना 8-9 लाख महिलाएं यात्रा करती हैं। सोचिए कि सारे टिफिन बॉक्स की जांच करने में कितना समय लगेगा। इसलिए हमने केवल इस तरह के (छोटे) चाकू ले जाने पर लगी रोक को हटाने का फैसला किया।”
उन्होंने कहा, “इस फैसले का आत्मरक्षा से या बेंगलुरु में छेड़छाड़ की घटना से कोई लेना-देना नहीं है। इस तरह की व्याख्या गलत है।”
(आईएएनएस)
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